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तबाही से दुनिया सिर्फ 9 वर्ष दूर! पढ़ें क्लाइमेट चेंज पर आई इस रिपोर्ट ने क्यों डराया

Global Carbon Budget 2022: रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक CO2 उत्सर्जन में भारत का योगदान 7 प्रतिशत है. चीन में 0.9 प्रतिशत और यूरोपीय संघ में 0.8 प्रतिशत की अनुमानित उत्सर्जन में कमी आई है, लेकिन अमेरिका में 1.5 प्रतिशत, भारत में 6 प्रतिशत और शेष विश्व में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत की वृद्धि में कोयले से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को बड़ा कारण माना गया है.

नई दिल्ली. क्लाइमेट चेंज (Climate Change) पर शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के सभी देशों ने मिलकर इस साल अब तक 40.6 बिलियन टन CO2 (GtCO2) वायुमंडल में छोड़ी है. इन आंकड़ों को देखने पर कमी का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, जोकि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए तत्काल आवश्यक है. मिस्र में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के बीच आई “ग्लोबल कार्बन बजट 2022” रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में 40.6 बिलियन टन CO2 का कुल उत्सर्जन अनुमान 2019 के उच्चतम वार्षिक उत्सर्जन 40.9  बिलियन टन CO2 के करीब है.

नौ वर्षों में बढ़ जायेगा तापमान
रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौजूदा उत्सर्जन स्तर बना रहता है, तो 50 प्रतिशत संभावना है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग नौ वर्षों में पार हो जाएगी. पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित ग्लोबल वार्मिंग सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस है, जो दुनिया को उम्मीद देती है कि यह जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए पर्याप्त होगी. पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तरों के औसत की तुलना में पृथ्वी की वैश्विक सतह के तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और इस बढ़ोतरी को दुनिया भर में रिकॉर्ड सूखे, जंगल की आग और पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ का कारण माना जाता है.

अमेरिका, यूरोप और चीन आगे
2021 में, दुनिया के आधे से अधिक CO2 उत्सर्जन करने में चीन (31 प्रतिशत), अमेरिका (14 प्रतिशत) और यूरोपीय संघ (8 प्रतिशत) सबसे आगे खड़े हैं. रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक CO2 उत्सर्जन में भारत का योगदान 7 प्रतिशत है. चीन में 0.9 प्रतिशत और यूरोपीय संघ में 0.8 प्रतिशत की उत्सर्जन में अनुमानित कमी आई है, लेकिन अमेरिका में 1.5 प्रतिशत, भारत में 6 प्रतिशत और शेष विश्व में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत की वृद्धि में कोयले से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को बड़ा कारण माना गया है.

भारत में प्राकृतिक गैस से उत्सर्जन में चार प्रतिशत की गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्राकृतिक गैस से उत्सर्जन में चार प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, लेकिन इसका कुल परिवर्तन में बहुत कम योगदान है. वहीं कार्बन ब्रीफ के एक विश्लेषण से पता चलता है कि अमेरिका ने 1850 के बाद से 509 बिलियन टन से अधिक CO2 वातावरण में रिलीज़ किया है और ऐतिहासिक उत्सर्जन के सबसे बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार है.

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