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हेल्थ

High BP: हाई बीपी किसी भी उम्र में क्यों न हो, भूलने की बीमारी का हमेशा रहेगा खतरा -स्टडी

High Blood Pressure and dementia: कम उम्र में यदि हाइपरटेंशन या हाई बीपी हो जाए तो बाद की उम्र में उसे डिमेंशिया या भूलने की बीमारी हो सकती है. यह बात एक अध्ययन में कही गई है.

High blood pressure decrease memory: हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन के कारण डिमेंशिया या भूलने की बीमारी होती है. हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन लाइफस्टाइल से संबंधित जटिल बीमारी है जिसके कारण हार्ट से संबंधित कई बीमारियां होती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया भर में करीब 1.28 अरब लोगों को हाई बीपी है लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से 46 प्रतिशत को पता भी नहीं है कि उन्हें ब्लड प्रेशर की बीमारी है. जब किसी अन्य समस्याओं का इलाज कराने जाते हैं, तब उन्हें पता चलता है कि उनका बीपी बढ़ा हुआ है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक करीब 70 करोड़ लोग बीपी का इलाज भी नहीं कराते हैं. इन सबकी वजह से उन्हें गंभीर नुकसान उठाना पड़ता है. अब एक अध्ययन में दावा किया गया है कि चाहे किसी भी उम्र में हाई बीपी की बीमारी क्यों न हो, ऐसे व्यक्तियों को बाद में हमेशा भूलने की बीमारी या डिमेंशिया का जोखिम ज्यादा रहता है.

कम उम्र में हाई बीपी से गंभीर जटिलताएं
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नलमें प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि हाई ब्लड प्रेशर चाहे किसी भी उम्र में क्यों न हो, जिसे यह हाई बीपी है, उसे बाद के जीवन में डिमेंशिया का जोखिम रहता ही है. डिमेंशिया दिमाग से संबंधित बीमारी है जिसमें इंसान को भूलने की बीमारी हो जाती है. वह कुछ रचनात्मक करने के लायक नहीं रह जाता है. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि जिन मध्यम आयु वाले लोगों या बुजुर्गों में धीरे-धीरे भी ब्लड प्रेशर की बीमारी हुई उनमें संज्ञानात्मक बौद्धिक क्षमता प्रभावित हो गई. ब्राजील की एक यूनिवसिटी के मेडिसीन विभाग की प्रोफेसर सांधी मारिया बेरेटो ने बताया, “हमने पहले सोचा था कि हाइपरटेंशन का बौद्धिक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है लेकिन शोध में नतीजे इससे कहीं ज्यादा डराने वाले थे. यह पाया गया कि अगर कम उम्र में भी हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी हो जाए तो बाद में उसमें बुद्धि या याददाश्त से संबंधित कई तरह की जटिलताएं आ जाती है.”

हाइपरटेंशन के इलाज से डिमेंशिया का जोखिम कम
हालांकि मारिया ने भी अपने शोध में यह भी पाया कि जिन लोगों ने हाई बीपी का इलाज गंभीरता से किया, उनमें आगे जाकर डिमेंशिया या बुद्धि से संबंधित जटिलताएं कम ही देखी गई. अध्ययन में कहा गया कि आगे की उम्र में डिमेंशिया के प्रभाव को रोका जा सकता है. इसके लिए अगर हाई बीपी की बीमारी है तो इसका इलाज कराना जरूरी होगा. हाइपरटेंशन का शुरुआती दौर में ही इलाज से डिमेंशिया के जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों में अनियंत्रित हाइपरटेंशन था, उनमें याददाश्त जाने का खतरा सबसे ज्यादा था. इसलिए अगर हाइपरटेंशन हो तो इसका हर संभव इलाज कराएं ताकि आगे की उम्र में कोई दिक्कत न हो.

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