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बिहार

नीतीश ने बताया किन दो नेताओं की सलाह के बाद तोड़ा था बीजेपी से गठबंधन, निकाले जा रहे हैं उनके बयान के सियासी मायने

7 दलों का समर्थन होने के बावजूद जदयू प्रत्याशी हार गया और राजनीतिक पंडित बताते हैं कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने बाद नीतीश कुमार ने ऐसा बयान क्यों दिया.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को खुलासा किया कि उन्होंने दो लोगों- जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और कैबिनेट मंत्री बिजेंद्र यादव की सलाह पर भाजपा से गठबंधन तोड़ा. उन्होंने गांधी मैदान के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में पार्टी के ओपन सत्र के दूसरे दिन जदयू कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए कहा, “एनडीए में रहते हुए जब चीजें गलत हुईं तो ललन सिंह और बिजेंद्र यादव ने मुझे गठबंधन तोड़ने का सुझाव दिया. हमने पूरे देश से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से सुझाव लिए और उन्होंने सुझाव दिया कि मैं भाजपा से गठबंधन तोड़कर सरकार बनाने के लिए सात दलों के गठबंधन के साथ जाऊं.”

नीतीश कुमार ने कहा, “अब हमारे पास बिहार में सात दलों की सरकार है और हम संयुक्त रूप से राज्य का विकास करेंगे. ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मैं आप सभी से उनका समर्थन करने के लिए कहता हूं.” कुढ़नी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार की हार के तुरंत बाद नीतीश कुमार का बयान आया, और बयान का समय महागठबंधन के दृष्टिकोण से राजद और अन्य दलों के लिए महत्वपूर्ण है.

7 दलों का समर्थन होने के बावजूद जदयू प्रत्याशी हार गया और राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने बाद नीतीश कुमार ने ऐसा बयान क्यों दिया. चर्चा है कि नीतीश कुमार बिहार में एनडीए को तोड़ने के लिए ललन सिंह और बिजेंद्र यादव को जिम्मेदार ठहराकर भाजपा से संवाद का द्वार खोलना चाहते हैं.

बिहार में नई सरकार बनने के बाद महागठबंधन ने तीन उपचुनाव लड़े और दो हार गए, नीतीश कुमार इस प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को भी अपराध की बढ़ती घटनाओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और वह शायद नहीं चाहते कि उनकी सरकार को बिहार में जंगल राज की वापसी का टैग मिले.

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