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राजस्थान

BJP का मास्‍टर स्‍ट्रोक है गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाने का फैसला, एक तीर से साधे कई निशाने

Jaipur News: इस साल विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाने के लिए बीजेपी ने चाल चल दी है. यह न सिर्फ उम्रदराज नेताओं के लिए संकेत है, बल्कि युवा पीढ़ी को राजनीति में लाने का रास्ता तैयार करने की रणनीति भी है. गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं.

जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे  को कुछ तवज्जो देने के बाद अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gubab chandra Kataria) को असम का राज्यपाल बनाकर बीजेपी थिंक टैंक ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. सीएम फेस की सियासत से पहले अब नेता प्रतिपक्ष का नया चेहरा राजस्थान में बीजेपी की राजनीति की नई दशा और दिशा तय करेगा. इसके लिए राजनीतिक पटल पर अभी से कई नाम सामने आने लगे हैं.

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विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. ऐसे में नए नेता प्रतिपक्ष का नाम जल्द तय हो सकता है. नेता प्रतिपक्ष से सीएम चेहरे का संकेत मिलेगा. इसी माह में नए नेता प्रतिपक्ष पर फैसला होने की संभावना है.

राजस्थान में जनरेशन शिफ्ट की शुरुआत
बीजेपी में उम्रदराज नेताओं की लंबी कतार है. इनमें सूर्यकांता व्यास (85), कैलाश मेघवाल (89), वासुदेव देवनानी (75), कालीचरण सर्राफ (72), नरपत सिंह राजवी (72) पब्बाराम विश्नोई (72), मोहन राम चौधरी (72) और अशोक डोगरा (70) समेत कई नेता सत्तर पार हैं. वरिष्ठ नेताओं को ही लगातार टिकट मिलने के चलते नई पीढ़ी को मौके नहीं मिल पाते. 79 वर्षीय कटारिया को राज्यपाल बनाकर बीजेपी ने राजस्थान में जनरेशन शिफ्ट की शुरुआत कर दी है. इसे नई पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. गुलाबचंद कटारिया की पीढ़ी के इन नेताओं को साफ मैसेज है कि टिकटों से लेकर सक्रिय राजनीति में जगह खाली करनी होगी.

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बीजेपी ने राज्यपाल बनाकर कई निशाने साधे
कटारिया के राज्यपाल बनाकर बीजेपी ने कई निशाने साधे हैं. कटारिया करीब पांच दशक से राजनीति में हैं. उनके सक्रिय राजनीति से हटने के बाद प्रदेश लेवल से लेकर उदयपुर तक में स्पेस खाली होगा. कटारिया के गवर्नर बनने के बाद अब आगे राजस्थान बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में कई चीजें बदलेंगी. इसे एक खेमे के बड़े नेता के सियासी संन्यास के रूप में देखा जाएगा. कटारिया ग्राउंड से लेकर विधानसभा हाउस तक सक्रिय रहते थे. उस लेवल पर जगह जरूर खाली हो गई है. उसे भरने के लिए नए नेताओं को मौका मिलने से नए समीकरण तो बनेंगे ही. इसके अलावा सीएम की बजट में ऐतिहासिक गलती को न भुना पाने के लिए इसे कटारिया के खिलाफ कदम तौर पर भी देखा जा रहा है.

बीजेपी की खेमेबाजी को दूर करने का भी संदेश
बीजेपी में अभी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, सांसद किरोड़ीलाल मीणा समेत कई खेमे हैं. कटारिया को राजे खेमे का समर्थक माना जाता है. उन्हें राज्यपाल बनाकर पार्टी ने न सिर्फ खेमेबाजी पर वार किया है, बल्कि यह संकेत भी दे दिए हैं कि उम्रदराज नेताओं को सम्मानित तरीके से मार्गदर्शक मंडल में स्थान दिया जाएगा या राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से दूर किया जाएगा. इससे दूसरी पीढ़ी के नेताओं को आगे आने का मौका मिलेगा. आइये, जानते हैं कटारिया के बाद कौन नेता प्रतिपक्ष बन सकता है…

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वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री
नए नेता प्रतिपक्ष के चेहरे से पार्टी की खेमेबंदी के समीकरण भी कुछ बदलेंगे. पार्टी फिलहाल सीएम फेस अनाउंस करने के मूड में नहीं है. ऐसे में वसुंधरा राजे भी नेता प्रतिपक्ष की रेस में हैं. चुनावी साल में जिसे भी यह पद दिया जाएगा, उसके जरिए सियासी मैसेज दिया जाएगा. हालांकि विपक्ष में रहते हुए अब तक राजे की सदन में मौजूदगी उतनी प्रभावी नहीं रही है. गुलाबचंद कटारिया सदन में फुल टाइम बैठते रहे हैं.

राजेन्द्र राठौड़, उपनेता विपक्ष
बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ भी इस रेस में हैं. वे अनुभवी नेता हैं और बीजेपी में उनकी गिनती टॉप पार्लियामेंटेरियन के तौर पर की जाती है. संसदीय मामलों की जानकारी से लेकर सदन में लगातार बैठकर सक्रिय भागीदारी के मामले में उनकी बराबरी के नेता गिनती के ही हैं. राठौड़ पहले वसुंधरा के कार्यकाल में मंत्री थे और उनके खेमे में थे. लेकिन बाद में अलग हो गए. कुछ समय सतीश पूनिया का साथ दिया, फिर उनको भी छोड़कर न्यूट्रल हो गए. सियासी उलटबांसियों की वजह से समीकरण उनके आड़े आ सकते हैं.

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सतीश पूनियां, प्रदेश अध्यक्ष
नए समीकरणों में पार्टी के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में आ गए हैं. उनका कार्यकाल वैसे भी खत्म हो चुका है. लेकिन अनुभव की बात करें, तो राठौड़ उनसे काफी सीनियर हैं. यदि पूनियां को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है तो पार्टी गजेंद्र सिंह शेखावत को भी प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे के रूप में सामने ला सकती है. ऐसे में बीजेपी की राजनीति चुनाव से पहले पूरी तरह बदल जाएगी.

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जोगेश्वर गर्ग, जालोर विधायक
बीजेपी विधायक दल के सचेतक अभी जालौर से विधायक बने जोगेश्वर गर्ग हैं. नेता प्रतिपक्ष के लिए चौंकाने वाले नाम के रूप में बीजेपी गर्ग को आगे बढ़ा सकती है. दरअसल, पार्टी के दलित चेहरे के तौर पर चुनावी साल में मैसेज देने के हिसाब से उन्हें दावेदार माना जा रहा है. गर्ग भले बड़ा चेहरा नहीं हों, लेकिन बड़े चेहरों की लड़ाई में उनकी लॉटरी निकल सकती है. गर्ग कभी लाइमलाइट में नहीं रहे और उनकी दबंग की छवि भी न होना, उनकी कमजोर कड़ी है.

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