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हेल्थ

क्या होता है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, कितना होना चाहिए नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल, कब समझें कि हार्ट पर आएगी मुसीबत

Normal Cholesterol Level: शरीर में विटामिंस, मिनिरल्स और अन्य पोषक पदार्थों की तरह फैट या वसा भी महत्वपूर्ण घटक है. यह शरीर के 500 से अधिक प्रक्रियाओं में भाग लेता है लेकिन कुछ फैट शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है और यह हार्ट में खून पहुंचाने वाली धमनियों को ब्लॉक करने लगता है. कोलेस्ट्रॉल इन्हीं में से एक है. हार्ट की बीमारी न हो, इसके लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जरूरी है.

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High Cholesterol Symptoms: लिपिड प्रोफाइल या लाइपोप्रोटीन प्रोफाइल टेस्ट की तब आवश्यकता होती है जब हार्ट से संबंधित समस्याएं शरीर में जन्म लेने लगती है. इससे हार्ट की तंदुरुस्ती का पता चलता है. वास्तव में लिपिड प्रोफाइट टेस्ट का मतलब है कि आपके शरीर में फैट या वसा की कितनी मात्रा खून में है. क्या वसा की मात्रा ज्यादा तो नहीं है. वसा कई रूपों में शरीर में मौजूद होता है. इन सभी रूपों की माप को लिपिड प्रोफाइट टेस्ट कहते हैं. वसा में मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं. ये फैट कोशिकाओं की हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इनके खराब रूप खून की धमनियों को ब्लॉक करने लगता है और उसमें सूजन बनाने का कारण बनने लगता है. इससे हार्ट की क्षमता प्रभावित होती है और हार्ट से संबंधित कई बीमारियों को प्रोत्साहन मिलती है.

बैड कोलेस्ट्रॉल का हमला इसी कारण होता है. यह बहुत ही चुपके से होता है. हालांकि शरीर में कुछ ऐसे संकेत दिखते हैं जिसके आधार पर आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल का हमला होने ही वाला है. पर इसका सही से अंदाजा लगाने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है.

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लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में क्या-क्या 
टोटल कोलेस्ट्रॉल
एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL)
एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL)
ट्राइग्लिसराइड्स
वीएलडीएल लेवल (VLDL)
नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल
एचडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल के बीच का अनुपात

किस टेस्ट के क्या मायने
क्लीवलैंडक्लिनिक के मुताबिक लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में मुख्य रूप से टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल, एचडीएल और ट्राईग्लिसराइड्स का ही महत्व होता है. अन्य चीजों को इन्हीं के मैजेरमेंट से हिसाब लगाया जाता है.

टोटल कोलेस्ट्रॉल-इसमें कुल कोलेस्ट्रॉल की गणना होती है. यानी एचडीएल+एलडीएल+20 प्रतिशत ट्राईग्लिसराइड्स

एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL)
-यह गुड कोलेस्ट्रॉल है. इससे शरीर को बहुत फायदा है. यह खून की धमनियों में जम चुके गंदगियों को साफ करता है. इसकी मात्रा ज्यादा होनी चाहिए.

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एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL)
-यही सबसे बड़ा विलेन कोलेस्ट्रॉल है. यह खून की धमनियों में प्लॉक यानी गंदा चिपचिपा पदार्थ बनाने लगता है जिससे धमनियों में ब्लॉकेज होने लगता है. हालांकि इसकी सीमित मात्रा फायदेमंद है.

ट्राइग्लिसराइड्स
 -इसकी थोड़ी मात्रा जरूरी है लेकिन ज्यादा मात्रा धमनियों की दीवार को हार्ड कर देती है. यानी धमनियों में कड़ापन लाता है.

वीएलडीएल लेवल (VLDL) -यह भी बैड कोलेस्ट्ऱॉल है. ये प्लैक बनाता है और ट्राईग्लिसराइड्स को भी कैरी करता है.

नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल-गुड कोलेस्ट्रॉल को छोड़कर जितने भी कोलेस्ट्रॉल होते हैं उसे नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. यानी टोटल कोलेस्ट्रॉल-एचडीएल= नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट का चार्ट

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