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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आएगी बड़ी गिरावट, जनता को मिल सकती है राहत, वित्त मंत्री ने दिए संकेत, लेकिन…

पेट्रोल-डीजल की कीमत पर अभी केंद्र व राज्य सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती है. इसके अलावा इसमें डीलर का भी कमीशन होता है. ये मिलकर पेट्रोल की कीमत को लगभग दोगुना बढ़ा देते हैं.

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नई दिल्ली. 18 फरवरी 2023 को जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक (GST Council Meeting) में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है. इस बैठक में राब, पेंसिल शार्पनर और कुछ ट्रैकिंग उपकरणों पर जीएसटी को घटा दिया गया. जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले 16 फरवरी को निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को इसके तहत लाने के लिए तैयार है लेकिन पहले राज्यों का मानना जरूरी है. इससे पहले भी कई बार केंद्र सरकार के मंत्री पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने को सकारात्मक बयान दे चुके हैं.

कुल मिलाजुला कर बात राज्यों पर आ जाती है. पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को देखा जाए तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इन पर टैक्स लगाकर काफी अच्छी कमाई होती है. अगर इन उत्पादों को जीएसटी के तहत ला दिया गया तो सरकारों की आय बहुत घट जाएगी. हालांकि, आम लोगों की इससे जबरदस्त चांदी हो जाएगी. कैसे, आइए देखते हैं.

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समझिए पेट्रोल पर टैक्स का मौजूदा गणित
हम नई दिल्ली के उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं कि अभी पेट्रोल पर कितना टैक्स लगता और जीएसटी के तहत आने के बाद ये कितना हो जाएगा. दिल्ली में फिलहाल डीलर्स को 57.36 रुपये में पेट्रोल बेचा जाता है. इस पर 19.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी लगती है. इसके बाद इसमें डीलर का कमीशन जुड़ता है जो औसतन 3.75 रुपये है. अब जो वैल्यू तैयार होती है इस पर राज्य अलग-अलग वैट (Value added tax) लगाते हैं. दिल्ली में यह 19.40 फीसदी है. इस तरह से वैट हुआ 15.71 पैसे. कुल मिलाकर दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये हो गई.

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जीएसटी के तहत आने पर कितनी होगी कीमत
अगर केंद्र व राज्य सरकारें पेट्रोल को जीएसटी की तहत ले आती हैं तब वैट और एक्साइज ड्यूटी हट जाएगी. मान लेते हैं कि पेट्रोल पर जीएसटी की सर्वाधिक दर 28 फीसदी लगाई जाती है. अब डीलर को जिस कीमत पर ( 57.36 रुपये) पेट्रोल मिलता है उस पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा. पेट्रोल पर टैक्स घटकर हो जाएगा 16.06 रुपये. इस पर अगर 3.75 रुपये डीलर का कमीशन जोड़ भी दिया तो भी पेट्रोल की कीमत 77 रुपये के करीब ही आएगी. हालांकि, इससे राज्यों व केंद्र सरकारों को बड़ा राजस्व घाटा उठाना होगा.

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