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अगले 5 साल गर्मी से झुलसेगी पूरी दुनिया! धरती उगलेगी ‘आग’, टेंपरेचर राइज को लेकर WMO ने जारी किया अलर्ट

World Weather News: जलवायु परिवर्तन में तेजी के चलते तापमान बढ़ने की संभावना जताई है. यूएन वेदर एजेंसी ने बताया कि 2015-22 तक का साल दुनियाभर में सबसे गर्म साल रहा था.

नई दिल्ली. अगले पांच सालों में वैश्विक तापमान बढ़ने की संभावना जताई गई है. बताया जा रहा है कि साल 2023 से 2027 के बीच अब तक की सबसे ज्यादा गर्मी पड़ने वाली है. साथ ही यह भी अनुमान लगाया है कि इन पांच वर्षों में कोई एक ऐसा साल होगा, जो 2016 के तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जानकारी दी है. WMO (World Metrological Organisation) के अनुसार 98 प्रतिशत संभावना है कि आगामी पांच साल रिकॉर्ड स्तर की गर्मी दर्ज की जाएगी.

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WMO ने जारी की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र ने ग्रीनहाउस गैसों और अल नीनो से तापमान बढ़ने की चेतावनी जारी की है, जलवायु परिवर्तन में तेजी आने से तापमान में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है. मौसम संगठन के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालस ने कहा कि इन पांच वर्षों में स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और पर्यावरण पर इसके दुरगामी प्रभाव पड़ेंगे, जिसके लिए हमें तैयार रहने की जरूरत है. वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन ने बताया कि पेरिस जलवायु समझौते में जो ग्लोबल टेम्परेचर्स सेट किया गया था, वह उससे पार जाने वाला है.

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WMO के लिए खतरे की घंटी बजी
WMO ने बताया कि 66 प्रतिशत संभावना है कि साल 2023-2027 के बीच एनुअल ग्लोबल सरफेस का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा. इन पांच साल में हर साल के 1.1C से 1.8C का लिमिट रखा गया है. यूएन वेदर एजेंसी के चीफ पेटेरी तालस ने बताया कि WMO के लिए खतरे की घंटी बज रही है कि हम टेंपररी बेसिस पर 1.5 सेल्सियस के स्तर को पार कर जाएंगे. एजेंसी ने बताया कि आने वाले दिनों में अल-नीनो के डेवलप होने की प्रबल संभावना है.

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सितंबर तक 80 फीसदी विकसित हो जाएगा अल नीनो
बता दें कि अल नीनो प्रशांत महासागर में आने वाला एक किस्म का मौसमी बदलाव है. इस दौरान मौसम में कभी भी बदलाव आ सकता है. बेमौसम बारिष प्रचंड गर्मी, कभी सर्दी जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है. अल नीनो के विकसित होने के बाद 2024 में वैश्विक तापमान बढ़ेगा. WMO ने कुछ दिन पहले कहा था कि अल नीनो के विकसित होने की संभावना जुलाई के अंत तक 60 फीसदी और सितंबर के अंत तक 80 फीसदी थी.

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