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शेयर बाजार

बिहार के अरबपति को गिरवी रखनी पड़ी अपनी सबसे बड़ी पूंजी, ऐसी क्या नौबत आ गई, सब ठीके है ना!

कंपनी ने एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि शेयरों को कंपनी या समूह द्वारा लिए गए लोन के लिए कॉलेट्रल के तौर पर गिरवी रखा गया है

मुंबई. बिजनेस में फंड जुटाने के लिए अक्सर बड़ी-बड़ी कंपनियां कर्ज लेती हैं. क्योंकि व्यापार को बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत होती है. यही वजह रही कि अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Ltd.) ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में अपने करीब सारे शेयर गिरवी रख दिए हैं. कंपनी ने 13.94 करोड़ शेयर या कुल इक्विटी का 3.3 प्रतिशत हिस्सा गिरवी रखा है. इस खबर के बाद हिंदुस्तान जिंक के शेयर में गिरावट आई है.

एक्सचेंज की दी गई जानकारी में कंपनी ने कहा कि शेयरों को कंपनी या समूह द्वारा लिए गए लोन के लिए कॉलेट्रल के तौर पर गिरवी रखा है. यह इस वित्तीय वर्ष में तीसरा मौका था मल्टीनेशनल माइनिंग कंपनी ने हिंदुस्तान जिंक में अपने शेयर गिरवी रखे हैं.

कर्ज चुकाने के लिए गिरवी रखें शेयर
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वेदांता ने जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी और ओकट्री से 85 करोड़ डॉलर का लोन लिया है. इसके एवज में वेदांता की पेरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को 50 करोड़ डॉलर के बॉन्ड का पुनर्भुगतान करना था. CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने पिछले महीने एक्सिस ट्रस्टी सर्विसेज के पास वेदांता ने हिंदुस्तान जिंक में 10 करोड़ शेयर (करीब 2.44 फीसदी हिस्सेदारी) गिरवी रखी थे

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2-3 साल में कर्ज मुक्त कंपनी बनने का टारगेट
इस साल 31 मार्च तक लिस्टेड कंपनी पर 45,620 करोड़ रुपये का कर्ज था. हालांकि, चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने वेदांत में किसी भी संभावित हिस्सेदारी की बिक्री की खबरों से हमेशा मना करते आए हैं, लेकिन शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, दिसंबर में यह 69.6 फीसदी से गिरकर 68.1 फीसदी पर आ गई है. इससे पहले खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने कहा था कि उनके वेदांता समूह के पास अपनी सभी देनदारियों को चुकाने के लिए पर्याप्त नकदी प्रवाह है. उन्होंने कहा कि समूह का लक्ष्य अगले 2-3 साल में ‘शुद्ध शून्य ऋण वाली कंपनी’ बनना है.

कंपनियां क्यों रखती है गिरवी शेयर
दरअसल कंपनियों को अपने काम काज के लिए पैसों की लगातार जरूरत होती रहती है. इसलिए लोन किसी सिक्योरिटी (कुछ चीजें गिरवी रखकर) के बदले मिलता है. बैंकों से अलग अलग एसेट्स के हिसाब से मिलने वाले कर्ज के तरीके और ब्याज दरें भिन्न-भिन्न होती है. इसमें जमीन. प्रॉपर्टी, मशीने, गोल्ड, एफडी और शेयर शामिल होते हैं.

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