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बिजनेस करना है तो पहले याद कर लीजिए 26000 से ज्‍यादा नियम, एक भी तोड़ा तो जेल पक्‍की! आपको पता है क्‍या?

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Ease of Doing Business : तमाम सुधारों के बाद भी देश में उद्यम शुरू करना आज भी आसान नहीं है. टीमलीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार की ओर से तमाम नियमों को खत्‍म किए जाने के बावजूद आज भी उद्यमों के लिए 26 हजार से ज्‍यादा नियमों का पालन करना जरूरी है. इसमें से एक भी तोड़ा तो जेल हो सकती है.

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नई दिल्‍ली. मोदी सरकार ने केंद्र में आने के बाद से बिजनेस करना आसान बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) के मामले में अब तक काफी सुधार हुआ तो है, लेकिन आज भी बिजनेस से जुड़े हजारों नियम हैं. आलम ये है कि अगर किसी को देश में छोटे-मझोले उद्यम शुरू करने हैं तो उसे 26 हजार से भी ज्‍यादा नियमों का पालन करना होगा. इसमें से एक भी नियम तोड़ने पर जेल हो सकती है.

टीमलीज रेगटेक और ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने हाल में ‘जेल्‍ड फॉर डूइंग बिजनेस’ नाम से जारी एक रिपोर्ट में बताया है कि देश में छोटे-मझोले उद्यमों से जुड़े 26,134 नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. यह नियम इतने जरूरी होते हैं कि अगर इसमें से एक भी तोड़ा तो जेल जाना पक्‍का हो जाएगा. इतना ही नहीं देश में उद्यमों को रेगुलेट करने के लिए कुल 69,233 कम्‍पलायंस नियम भी बनाए गए हैं.

उद्यमों पर बढ़ जाता है खर्च का बोझ

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कम्‍पलायंस से सिर्फ समय ही नहीं जाता, बल्कि उद्यमों (MSMEs) पर खर्चों का बोझ भी काफी बढ़ जाता है. आसान भाषा में कहा जाए तो 150 कर्मचारियों वाले एक MSME को 500 से 900 कम्‍पलायंस का पालन का करना पड़ता है. इन नियमों के पालन करने में सालाना करीब 12 से 18 लाख रुपये खर्च होते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में गुड्स और सर्विस के बीच काफी गैप है, जिसका असर भी MSME पर पड़ता है.

7 पार्ट में बांटी गई रिपोर्ट
रेगटेक का कहना है कि यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है. मंत्रालयों और विभागों से जुड़े हजारों नियमों का पालन करना आज भी उद्यमों के लिए बहुत जरूरी है. कंपनी ने बयान में कहा है कि यह रिपोर्ट 7 साल की मेहनत के बाद तैयार की गई है. रिपोर्ट को 7 प्रमुख भागों में बांटकर तैयार किया गया है. इसमें लेबर, फानइेंस व टैक्‍सेशन, इन्‍वॉयरमेंट, हेल्‍थ और सेफ्टी, सेक्रेटेरियल, कॉमर्शियल, इंडस्‍ट्री स्‍पेसिफिक व जनरल.

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नौकरी पर असर, करप्‍शन को बढ़ावा
टीमलीज के वाइस चेयरमैन मनीष सबरवाल का कहना है कि भारत में नियोक्‍ताओं इतना ज्‍यादा नियम डालने से भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा ही मिलता है. इसका असर रोजगार पर भी दिखाई देता है. सरकार ने अभी तक इस दिशा में काफी काम किए हैं, लेकिन आज भी केंद्र और राज्‍य के जेल भेजने वाले 26 हजार से ज्‍यादा प्रावधान होने की वजह से उद्यमों को शुरू करना आसान नहीं है.

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