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दिल्ली/एनसीआर

Delhi-NCR में बाढ़ का अलर्ट: खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर पहुंची यमुना, अमित शाह ने LG से की बात

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दिल्ली एनसीआर के लिए फिर बजी खतरे की घंटी. यमुना का पानी सड़कों और घरों में घुस सकता है.

Delhi Flood: दिल्ली एनसीआर पर एक बार फिर बाढ़ का ख़तरा मंडरा रहा है. हरियाणा के हथिनिकुंड बैराज से दो लाख क्यूसिक पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी (Yamuna River) फिर से खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी है. आज शाम चार बजे यमुना नदी का जलस्तर 206.31 मीटर हो गया है, जबकि खतरे का निशान 205.33 मीटर पर है. यमुना नदी में पानी खतरे के निशान से एक मीटर से ऊपर है. दिल्ली एनसीआर (Delhi Yamuna Update) के निचले इलाकों में अगले कुछ घंटों में एक बार फिर पानी घुस सकता है. लोगों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया था. निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा गया था. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर रेड अलर्ट जारी किया था.

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बता दें कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश और बाढ़ के चलते हथिनीकुंड बैराज एक बार फिर पूरी तरह से फुल हो गया. हरियाणा सरकार का कहना है कि इसके चलते मजबूरन एक दिन पहले दो लाख क्यूसिक पानी छोड़ना पड़ा. बैराज से छोड़े गए पानी का असर यमुना पर पड़ना ही था. पिछले एक हफ्ते से यमुना नदी खतरे के निशान से काफी नीचे चली गई थी. दिल्ली के निचले इलाकों से भी पानी निकल गया था. लाल किला सहित दिल्ली की कई प्रमुख सड़कें भी पानी से खाली हो गई थीं, लेकिन बैराज से एक बार फिर से पानी छोड़े जाने के चलते यमुना नदी उफनाने की स्थिति में पहुंच गई है. दिल्ली के जिन इलाकों से पानी निकल गया था. वहाँ पानी पहुँचने में अधिक समय नहीं लगेगा.

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वहीं इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यमुना नदी के जलस्तर को लेकर भी दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से चर्चा की. गृह मंत्री ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए पर्याप्त संख्या में एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के कर्मी मौजूद हैं.’’ राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी का जलस्तर रविवार को एक बार फिर खतरे के निशान के पार चला गया. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश के बाद हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ गया है. अधिकारियों ने कहा कि नदी के जलस्तर में और वृद्धि से राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में राहत एवं पुनर्वास के काम पर असर पड़ सकता है.

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