गुलियन बैरे सिंड्रोम दरअसल तंत्रिका तंत्र की एक रेयर और गंभीर स्थिति है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम शायद इसके बारे में आपने कभी न सुना हो, लेकिन ये एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. ये शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. इसके चलते आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं जैसे मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने में तकलीफ आदि. इसकी परेशानियों के बढ़ने पर इंसान पूरी तरह से पैरालाइज़्ड भी हो सकता है. आइए इसके बारे में डॉक्टर सुनील सिंगला से जानते हैं.
ये भी पढ़ें– बारिश के दौरान खूब पिएं 5 तरह की चाय, शरीर में आ जाएगी एनर्जी, सर्दी-जुकाम से मिलेगा छुटकारा
क्या होता है गुलियन बैरे सिंड्रोम?
सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर एंड एचओडी, न्यूरोलॉजी डॉक्टर सुनील सिंगला ने बताया कि गुलियन बैरे सिंड्रोम दरअसल तंत्रिका तंत्र की एक रेयर और गंभीर स्थिति है. इसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मस्तिष्क से जुड़ने वाली नसों पर हमला करने लगता है, जिसके कारण उनमें सूजन आ जाती है और एक समय बाद लकवे जैसी स्थिति बन जाती है. यानी कि यह एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम के कारण-
गुलियन बैरे सिंड्रोम का सटीक कारण पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन बहुत से केस में इसका कारण संक्रमण, वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन देखा गया है. साथ ही कुछ मामलों में वैक्सीनेशन के कारण भी इसे देखा जाता है, इस स्थिति में अक्सर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम वैक्सीन के रेस्पोंस में मस्तिष्क की ओर जाने वाली नसों पर हमला करने लगता है और गुलियन बैरे सिंड्रोम की स्थिति बन जाती है.
ये भी पढ़ें– Kidney Disease आपके शरीर में कर देता है उथल-पुथल, बीमारी के इन लक्षणों को पहले ही पहचानें
क्या होते हैं गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण-
गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षणों की यदि बात करें तो इसकी शुरुवात कमजोरी, हाथ-पैरों में झनझनाहट आदि से शुरू होती है, जो धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी भाग में फैलने लगती है. इसके अन्य लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, हृदय गति का अनियमित होना, शरीर में संतुलन कायम करने में कठिनाई होना, आदि शामिल हैं.
गंभीर स्थिति में गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण व्यक्ति के रोग की स्थिति पर निर्भर करते हैं ऐसे में हर रोगी में अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं. इसमें कुछ मामलों में जान का जोखिम भी हो सकता है, यदि व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ अत्याधिक होने लगे या मांसपेशियों को क्षति पहुंचने लगे. ऐसे में रोगी को इमरजेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है.
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम का इलाज-
ये भी पढ़ें– इस बीमारी से जूझ रहे 12 हजार बच्चों का हर साल मुफ्त इलाज करेगा एम्स दिल्ली, अस्पताल में बन रहा सेंटर
गुलियन बैरे सिंड्रोम का इलाज अस्पताल में होता है, और इलाज के दौरान रोग के कारण होने वाली जटिलताओं पर काम किया जाता है, सपोर्टिव केयर दी जाती है, और इम्यून सिस्टम के नर्वस सिस्टम पर हो रहे हमले को रोकने के लिए उपचार किये जाते हैं. इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन या आईवीआईजी और प्लाज्मा एक्सचेंज इसके इलाज में शामिल हैं.