Tax Free Income In India: टैक्सपेयर्स के लिए अपनी फाइनेंशियल प्लान को अनुकूलित करने के लिए टैक्स-फ्री कमाई (Tax Free Income) की कैटेगरीज को समझना महत्वपूर्ण है.
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Tax Free Income: भारत में कमाई टैक्स (Income Tax) नियम यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं कि व्यक्ति और संस्थाएं अपनी कमाई (Earning) पर टैक्स का पेमेंट करें, लेकिन कुछ प्रकार की कमाई ऐसी भी हैं जिन पर टैक्स नहीं लगाए जाते हैं. टैक्स-फ्री कमाई (Tax Free Income) के इन स्रोतों को समझने से व्यक्तियों और व्यवसायों को सही फाइनेंशियल फैसले लेने में मदद मिल सकती है.
आइए, यहां पर जानते हैं कि ऐसी 5 तरह की कौन सी कमाई होती है जिन पर टैक्स देना पड़ता है और उसकी वजह क्या है?
कृषि कमाई (Agriculture Income)
टैक्स-फ्री कमाई (Tax Free Income) की सबसे फेमस कैटेगरी कृषि से होने वाली कमाई है. एग्रीकल्चर एक्टिविटीज से अर्जित कमाई कमाई कर अधिनियम, 1961 की धारा 10(1) के तहत कमाई टैक्स (Income Tax) फ्री होती है. इस छूट के पीछे तर्क कृषि क्षेत्र को सपोर्ट और बढ़ावा देना है, जो देश की इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. टैक्स-फ्री कृषि कमाई किसानों को अपने खेतों में निवेश करने और एग्रीकल्चर मेथड्स में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
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उपहार और विरासत (Gifts and Heritage)
भारत में व्यक्तियों द्वारा प्राप्त उपहार आम तौर पर टैक्स-फ्री होते हैं, बशर्तें वे कमाई टैक्स (Income Tax) अधिनियम की धारा 56(2) में दी गई कुछ शर्तों को पूरा करते हों. इसी तरह, विरासत में मिली प्रॉपर्टी कमाई टैक्स (Income Tax) के अधीन नहीं है. यह छूट इस वजह से दी गई है कि उपहारों और विरासतों पर टैक्स लगाने से पारिवारिक फाइनेंशियल हेल्प आगे नहीं बढ़ पाएगी और पीढ़ियों के बीच पैसे के ट्रांसफर में बाधा आएगी.
PPF और EPF पर इंटरेस्ट
सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में निवेश पर मिला ब्याज टैक्स-फ्री है. इन निवेशों को प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि ये व्यक्तियों के लिए लॉन्ग-टर्म बचत और फाइनेंशियल सेक्योरिटी को बढ़ावा देते हैं. सरकार अर्जित ब्याज पर टैक्स छूट प्रदान करके नागरिकों को इन प्लानओं में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
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लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर प्रॉफिट
इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड जैसी कुछ असेट्स की बिक्री से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल प्रॉफिट (LTCG) टैक्स-फ्री होते हैं, यदि वे खास मानकों को पूरा करते हैं. सरकार का लक्ष्य यह छूट प्रदान करके पूंजी बाजार में लॉन्ग-टर्म निवेश को प्रोत्साहित करना है. हालांकि, शॉर्ट-टर्म पूंजीगत प्रॉफिट पर टैक्स का पेमेंट करना पड़ता है.
HRA (House Rent Allowance)
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) सैलरी का एक घटक है जो टैक्स-फ्री हो सकता है. यदि करदाता धारा 10(13ए) में दी गई कुछ शर्तों को पूरा करता है. इस छूट के पीछे का उद्देश्य किराए के मकान में रहने वाले व्यक्तियों पर फाइनेंशियल बोझ को कम करना है.
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गौरतलब है कि टैक्सपेयर्स के लिए अपनी फाइनेंशियल प्लान को अनुकूलित करने के लिए टैक्स-फ्री कमाई (Tax Free Income) की कैटेगरीज को समझना महत्वपूर्ण है. ये छूट खास क्षेत्रों को समर्थन देने, लॉन्ग-टर्म बचत को प्रोत्साहित करने और कुछ स्थितियों में राहत प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं.