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जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की बढ़ेंगी मुश्किलें, बदल सकते हैं नियम

RBI

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को लेकर नियमों में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया है. इसमें जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों की परिभाषा भी तय की गयी है. इस श्रेणी में उन लोगों को रखा गया है, जिनके ऊपर 25 लाख रुपये या उससे अधिक का कर्ज है और पेमेंट क्षमता होने के बावजूद उन्होंने उसे लौटाने से इनकार कर दिया.

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आरबीआई ने नया ड्राफ्ट मास्टर डायरेक्शन पर संबंधित पक्षों से टिप्पणियां मांगी हैं. इसमें अन्य बातों के अलावा लेंडर्स के लिए दायरे का विस्तार करने का प्रस्ताव है. वे कर्ज लेने वालों को जान-बूझकर बकाया राशि नहीं लौटाने वाले की श्रेणी में वर्गीकृत कर सकते हैं और पहचान प्रक्रिया को बेहतर कर सकते हैं.

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क्रेडिट फैसलिटी के रीस्ट्रक्चरिंग के पात्र नहीं होंगे डिफॉल्टर

प्रस्ताव के तहत जान-बूझकर चूक करने वाले क्रेडिट फैसलिटी के रीस्ट्रक्चरिंग के पात्र नहीं होंगे. साथ ही वे किसी अन्य कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल नहीं हो सकते हैं.

ड्राफ्ट में कहा गया है, ‘‘जहां भी आवश्यक हो, लेंडर्स बकाया राशि की तेजी से वसूली के लिये उधार लेने वाले/गारंटी देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा.’’

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31 अक्टूबर तक सुझाव देने को कहा

इसमें कहा गया है कि लेंडर किसी अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) के रूप में रखे जाने के 6 महीने के भीतर जान-बूझकर चूक करने वालों से संबंधित पहलुओं की समीक्षा करेगा और उसे अंतिम रूप देगा. रिजर्व बैंक ने ड्राफ्ट मास्टर डायरेक्शन पर संबंधित पक्षों से 31 अक्टूबर तक सुझाव देने को कहा गया है.

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