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बिज़नेस

Tanishq Jewellery के शोरूम पर कभी लटकने वाला था ताला, एक Idea से बदली दुनिया

तनिष्क की शुरुआत 1995 में हुई थी. इसकी लॉन्चिंग टाइटन ब्रांड के बैनर तले की गई थी. लेकिन ग्राहकों की जरूरतों को पहचान पाने में असमर्थ होने पर इसको बंद करने की नौबत आ गई थी.

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Tanishq Jewellery: ज्वेलरी रिटेल की दुनिया में, तनिष्क फ्लेक्जिबिलिटी और लेटेस्ट डिजाइन का एक जीवंत उदाहरण बनकर उभरा है. तनिष्क की सफलता की यात्रा में एक समय ऐसा भी आया था जब इसे बंद किए जाने पर विचार किया जा रहा था. लेकिन एक आइडिया ने स्थिति को बदल दिया और इस ब्रांड को लाभ कमाने वाली कंपनी में बदल दिया.

एक रॉकी स्टार्ट

टाइटन कंपनी लिमिटेड के ब्रांड के तहत तनिष्क ने 1995 में भारत के ज्वैलरी मार्केट में प्रवेश किया. इसके शुरुआती वर्ष चुनौतियों से भरे थे. मार्केट में ट्रेडिशनल ज्वैलर्स का वर्चस्व था और तनिष्क को कंज्यूमर्स की प्रायरिटीज की कम समझ के कारण और ज्वैलरी इंडस्ट्री की जटिल डायनेमिक्स के कारण पैर जमाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.

इन्नोवेटिव डिजाइन और क्राफ्ट स्किल

तनिष्क के लिए निर्णायक मोड़ इन्नोवेटिव डिजाइन और शिल्प कौशल पर उसका लगातार फोकस था. ब्रांड ने समझा कि कस्टमर यूनिक, समकालीन ज्वैलरी की तलाश करते हैं, जो अभी भी ट्रेडिशंस को लेकर उत्साहित रहते हैं. इसने स्पेशल कलेक्शन तैयार करने के लिए फेमस डिजाइनरों के साथ सहयोग करना शुरू किया जो कस्टमरों को पसंद आया.

रिलायबिलिटी और ट्रांसपैरेंसी

तनिष्क की सफलता की कहानी में दूसरा महत्वपूर्ण फैक्टर ट्रस्ट और ट्रांसपैरेंसी की स्थापना थी. कुछ अन्य ज्वैलर्स के विपरीत, तनिष्क ने स्टैंडर्ड प्राइस रखने को बढ़ावा दिया और बेचे गए सोने की प्योरिटी तय की. इससे न केवल कस्टमर आकर्षित हुए बल्कि भारत में गहने खरीदने के प्रति लोगों का नजरिया भी बदल गया.

नए सेगमेंट को टार्गेट करना

तनिष्क ने डायवर्सिफिकेशन के महत्व को पहचाना और मार्केट के अलग-अलग सेक्टर्स को टार्गेट करना शुरू किया. इसने समकालीन गहनों के लिए मिया और शादी के गहनों के लिए रिवाह जैसे उप-ब्रांड पेश किए. इस कदम ने तनिष्क को खास सेक्टर में प्रवेश किया और व्यापक कस्टमर बेस को पूरा किया.

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ऑनलाइन प्रजेंस और डिजिटल चेंज

डिजिटल युग में ब्रांड को उसके अनुकूल करना एक और गेम-चेंजर था. तनिष्क ने अपनी ऑनलाइन उपस्थिति का विस्तार किया, जिससे कस्टमरों के लिए आभूषण ब्राउज़ करना और खरीदना आसान हो गया. महामारी के बाद की दुनिया में, यह बदलाव अमूल्य हो गया.

संस्कृति और त्यौहार मनाना

तनिष्क ने भारत की गहरी सांस्कृतिक जड़ों का भी लाभ उठाया. इसने विभिन्न त्योहारों को मनाने वाले आभूषण संग्रह तैयार करना शुरू कर दिया, जिससे यह दिवाली, धनतेरस और शादियों जैसे अवसरों के दौरान लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया.

नेविगेट करने की चुनौतियां

तनिष्क की सफलता के पीछे बहुत बड़ी असफलता की यात्री भी थी. तनिष्क को अपने मार्केटिंग कैंपेंस और प्रोडक्ट लॉन्च के कारण कई बार विवादों और प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा. हालांकि, ब्रांड डायवर्सिफाइड और इंक्लूसिवनेस के प्रति अपने कमिटमेंट की पुष्टि करते हुए, लचीलेपन और चातुर्य के साथ इन चुनौतियों से निपटने में कामयाब रहा.

बंपर मुनाफा और ब्राइट फ्यूचर

आज, तनिष्क इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि अपने आउटलुक में में रणनीतिक बदलाव और इन्नोवेशन के प्रति कमिटमेंट से क्या हासिल किया जा सकता है. यह न केवल जीवित रहा है बल्कि उस इंडस्ट्री में फला-फूला है जिसे कभी संतृप्त और कठोर माना जाता था. क्वालिटी, इन्नोवेशन और कस्टमर्स की जरूरतों के मुताबिक ब्रांड के कमिटमेंट ने इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है, जिससे यह भारत में सबसे रिलायबल और प्राफिटेबल ज्वैलरी ब्रांडों में से एक बन गया है.

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ऐसी दुनिया में जहां सफलता को अक्सर अनुकूलन और नवप्रवर्तन की क्षमता से मापा जाता है, तनिष्क की रिकॉर्ड जर्नी बदलाव की ताकत और इससे मिलने वाले रिवार्ड्स के प्रमाण के तौर पर कार्य करती है. यह बिजनेसेसज के लिए एक प्रेरणा के रूप में खड़ा है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी, एक नया विचार स्थिति बदल सकता है और एक समृद्ध सफलता की कहानी को जन्म दे सकता है.

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