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Covid-19: लॉकडाउन के बाद कैसी है एल्कोहल इंडस्ट्री? हो रहे नए प्रयोग लेकिन सामने है कई चैलेंज

Lockdown के बाद कई इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर पड़ा था. जिसके कारण लोगों की नौकरियां भी गई और लोगों को कारोबार में भी काफी घाटा उठाना पड़ा है. हालांकि अब कुछ इंडस्ट्री वापस पटरी पर आने के लिए कोशिशें करती हुई नजर आ रही हैं. आइए जानते हैं विस्तार से…

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Alcohol Industry: देश में सरकार को ज्यादा राजस्व इकट्ठा करने में ईंधन और एल्कोहल के जरिए काफी योगदान दिया जाता है. इनका इस्तेमाल ग्राहकों के जरिए जितना किया जाएगा, उतना ही सरकार को भी टैक्स के जरिए राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी. हालांकि कोविड लॉकडाउन के दौरान जहां सब काम-धंधे ठप हो गए थे, वहीं एल्कोहल इंडस्ट्री को भी काफी झटका लगा था. लॉकडाउन के कारण एल्कोहल इंडस्ट्री को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि अब ये इंडस्ट्री भी संभलती हुई दिखाई दे रही है लेकिन अभी भी इसमें कई तरह का संघर्ष देखने को मिल रहा है.

हुआ नुकसान

इसके बारे में दिवान्स मॉडर्न ब्रुअरीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी प्रेम दिवान ने जानकारी दी है. प्रेम दिवान का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण साल 2020 और 2021 में दो गर्मियों के सीजन का नुकसान हुआ, जिससे विशेष रूप से बीयर बाजार को भारी झटका लगा. हालांकि, दबी हुई मांग के कारण 2022 की गर्मियों में बीयर की मांग में तेजी से उछाल आया और पिछले वर्षों की तुलना में इसमें भारी इजाफा हुआ है. अब एल्कोहल निर्माता मुनाफा बढ़ाने के लिए प्रीमियम ऑफरिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि इस मार्केट में भारी प्रतिस्पर्धा है.

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कच्चे माल की कीमत में इजाफा

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इस इंडस्ट्री में कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के बाद से ही कुछ वर्षों के दौरान लागत में भारी इजाफा हुआ है. कच्चे माल में जौ की कीमतें पिछले साल आसमान छू गईं. अन्य प्रमुख कच्चे माल चीनी और चावल की कीमत में भी इस साल काफी इजाफा हुआ है, लेकिन फिर भी ज्यादातर राज्य निर्माताओं को उचित मूल्य वृद्धि देने से कतराते हैं.

टैक्सेशन

प्रेम दिवान के मुताबिक इस इंडस्ट्री के लिए दूसरी बड़ी चुनौती बीयर में अल्कोहल पर उच्च स्तर का टैक्सेशन है. बीयर में अल्कोहल पर उत्पाद शुल्क शराब में अल्कोहल पर समान शुल्क की तुलना में काफी ज्यादा है, जिससे बीयर की एमआरपी में काफी तेजी आ जाती है, जिससे बिक्री में कमी आती है. इसे बार-बार राज्य सरकारों के ध्यान में लाया गया है लेकिन कोई वास्तविक परिणाम नहीं निकला है. साथ ही राज्यों में घरेलू ब्रांड्स के लिए एंट्री की लागत भी असामान्य रूप से अधिक है.

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इनसे पड़ता है असर

वहीं एक चुनौती यह भी है कि राज्यों में टैक्सेशन में कोई एकरूपता नहीं है और न ही हर साल बदली जाने वाली उत्पाद शुल्क नीतियों में कोई निरंतरता है. अप्रूवल प्रक्रियाएं बोझिल हैं, हालांकि कई राज्यों में चीजें बेहतरी की ओर बदल रही हैं, जिन्होंने अप्रूवल प्रक्रियाओं को ऑनलाइन कर दिया है. इसके अलावा पूर्व-कारखाना कीमतें राज्य उत्पाद शुल्क विभागों के जरिए तय की जाती हैं और उन्हें केवल एक वर्ष की वैधता के साथ प्रत्येक राज्य में अलग से अप्रूव करने की आवश्यकता होती है. इनपुट लागत में बढ़ोतरी पर कोई विचार नहीं किया जाता है जो निर्माताओं के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.

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किया जा रहे हैं कई प्रयोग

प्रेम दिवान ने बताया कि कोविड लॉकडाउन के बाद फिलहाल ये इंडस्ट्री उभरने की दिशा में काम कर रही है. देश के साथ ही विदेशों में अपने प्रॉडक्ट बेचने वाली दिवान्स मॉडर्न ब्रुअरीज ने कोविड संकट से उबरते हुए 2021-22 के दौरान बिक्री में 80% से अधिक का इजाफा दर्ज किया है और 2022-23 में बिक्री वृद्धि अभी भी 40% से अधिक की बनी हुई है. वहीं इस इंडस्ट्री में आगे बने रहने के लिए कई प्रयोग भी किए जा रहे हैं और प्रीमियम बियर रेंज लाकर ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश है. वहीं डार्क बियर के साथ भी प्रयोग किए जा रहे हैं. आने वाले वक्त में मार्केट में कई नई रेंज के प्रॉडक्ट देखने को मिल सकते हैं.

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