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Personal Loan को मुश्किल क्यों बना रहा है RBI? जानिए कैसे बढ़ता हुआ लोन डालता है अर्थव्यवस्था पर बुरा असर

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भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सख्त कदम उठाते हुए बैंकों के कंज्यूमर क्रेडिट पर रिस्क वेट (Risk Weight On Consumer Credit) को बढ़ा दिया है. पहले यह आंकड़ा 100 फीसदी था, जिसे एक चौथाई बढ़ाते हुए अब इसे 125 फीसदी कर दिया गया है.

कुछ समय पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने अनसेक्योर्ड पर्सनल लोन (Unsecured Personal Loan) को लेकर चिंता जताई थी. अब भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और सख्त कदम उठाते हुए बैंकों के कंज्यूमर क्रेडिट पर रिस्क वेट (Risk Weight On Consumer Credit) को बढ़ा दिया है. पहले यह आंकड़ा 100 फीसदी था, जिसे एक चौथाई बढ़ाते हुए अब इसे 125 फीसदी कर दिया गया है.

अगर आसान भाषा में समझें तो अभी तक बैंकों को हर 100 रुपये के लोन पर 9 रुपये का कैपिटल मेंटेन करने की जरूरत होती थी. अब रिस्क वेटेज बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को अधिक कैपिटल मेंटेन रखनी होगी. अब बैंक को हर 100 रुपये के लोन के लिए 11.25 रुपये की कैपिटल मेंटेन रखनी होगी.

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आखिर क्यों पर्सनल लोन को मुश्किल बना रहा RBI

लोन को लेकर एक के बाद एक सख्त रेगुलेशन लगाए जाने का मतलब साफ है कि भारतीय रिजर्व बैंक पर्सनल लोन को सख्त बनाना चाहता है. अब सवाल ये है कि आखिर बैंक क्यों नहीं चाहता कि लोग तेजी से पर्सनल लोन लें? लोग खूब सारा लोन लेंगे तो उससे तमाम सामान खरीदेंगे, जिससे पैसा तेजी से इकनॉमी में घूमेगा और जीडीपी बढ़ेगी. तो फिर खुद रिजर्व बैंक ही पर्सनल लोन लेने वालों को हतोत्साहित करने के काम क्यों कर रहा है?

दरअसल, अनसेक्योर्ड पर्सनल लोन में तगड़ी तेजी देखने को मिल रही है और यह स्थिति चिंता करने वाली है. यही वजह है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों और एनबीएफसी को पर्सनल लोन दिए जाने को लेकर सचेत किया था. ऐसे में ये हिदायत दी गई थी कि पर्सनल लोन देते वक्त सचेत रहने की जरूरत है. इसे लेकर केंद्रीय बैंक पहले से ही बैंकों से बात कर रहा था. 25 अगस्त को भी शक्तिकांत दास ने बैंकों और एनबीएफसी के साथ एक मीटिंग की थी और इस पर चिंता जताई थी. 

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आखिर कितना बढ़ गया रिटेल पर्सनल लोन

अगर बात रिटेल पर्सनल लोन सेगमेंट की करें तो बैंकिंग सिस्टम में इसकी करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है. जून में जारी की गई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने बताया था कि मार्च 2021 से लेकर मार्च 2023 तक रिटेल लोन सालाना करीब 24.8 फीसदी की दर से बढ़े हैं. छोटी लेंडिंग कैटेगरी में ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है, जैसे क्रेडिट कार्ड, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और पर्सनल लोन. मार्च 2021-23 का डेटा दिखाता है कि अनसेक्योर्ड रिटेल लोन 22.9 फीसदी से बढ़कर 25.2 फीसदी तक पहुंच गया. वहीं सेक्योर्ड लोन भी 74.8 फीसदी से बढ़कर 77.1 फीसदी पर पहुंच गया. जुलाई के अंत तक बैंकों के अनसेक्योर्ड लोन का पोर्टफोलियो करीब 12 लाख करोड़ रुपये का हो गया. 

अनसिक्योर्ड लोन से हो सकती हैं दो बड़ी समस्याएं

1- अनसिक्योर्ड लोन की नहीं हो पाती रिकवरी, बढ़ जाएगा एनपीए!

अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन वह लोन होते हैं, जिन्हें रिकवर करना बहुत मुश्किल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोन को लेते वक्त ना तो कुछ गिरवी रखा जाता है, ना ही इन लोन की रिकवरी के लिए बैंक के पास कोई विकल्प होता है. जैसे अगर आप एफडी, म्यूचुअल फंड, गोल्ड, जमीन-जायदाद आदि पर लोन लेते हैं तो लोन ना चुकाने की सूरत में इन चीजों से पैसों की भरपाई की जाती है. वहीं कार लोन, होम लोन की सूरत में लोन ना चुकाने पर आपकी असेट को बेचकर पैसे रिकवर किेए जाते हैं. वहीं पर्सनल लोन लोग अपनी ऐसी जरूरतों के लिए लेते हैं, जिनसे लोन की भरपाई नहीं हो सकती, जैसे घर के सामान खरीदने, गैजेट खरीदने, मोबाइल खरीदने और यहां तक कि कहीं टूर करने के लिए भी लोग पर्सनल लोन ले लेते हैं. ऐसे में डिफॉल्ट होने की हालत में लोन की रिकवरी नहीं की जा सकती है. ऐसे में बैंकों को नुकसान होगा, जिसका सीधा असर भारतीय रिजर्व बैंक और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. यही वजह है कि समय-समय पर रिजर्व बैंक इंस्टेंट लोन को लेकर कोई न कोई एडवाइजरी जारी करता रहता है. 

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2- पर्सनल लोन से बढ़ सकती है महंगाई भी

अगर लोन बढ़ रहे हैं यानी लोगों की पर्चेजिंग पावर बढ़ रही है. बैंकों के इन लोन के जरिए लोग कुछ ना कुछ खरीद रहे हैं. किसी देश की जीडीपी में अगर पैसा अधिक हो जाता है तो डिमांड भी अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में सप्लाई सीमित होने की वजह से चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगती है. यही वजह है कि समय-समय पर महंगाई को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है, ताकि मार्केट में पैसों के सर्कुलेशन को कंट्रोल किया जा सके. अब अगर लोन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो जाएगी तो उससे महंगाई के बढ़ने की आशंका भी बनी रहेगी, इसलिए रिजर्व बैंक थोड़ा चिंतित है.

आखिर बढ़ क्यों रहे हैं लोन?

भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि अनसेक्योर्ड लोन तेजी से बढ़ रहे हैं. इस कैटेगरी में क्रेडिट कार्ड लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल के लोन और छोटे पर्सनल लोन आते हैं. इसमें बढ़ोतरी की बड़ी वजह है तमाम कंपनियों के लुभावने ऑफर. अगर मौजूदा वक्त में चल रही फेस्टिव सीजन की सेल की ही बात करें तो इसमें बहुत सारी कंपनियां नो कॉस्ट ईएमआई ऑफर कर रही हैं. इसके लिए बहुत सारे बैंकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर ईएमआई की सुविधा दी जा रही है. तमाम ई-कॉर्मस साइट खुद भी अपने यूजर्स को कुछ क्रेडिट लाइन दे रही हैं. यह भी अनसेक्योर्ड लोन को बढ़ा रहे हैं. वहीं तमाम बैंक भी छोटे-छोटे लोन देने के लिए आए दिन लोगों को फोन करते हैं, वो भी बिना किसी कागजी कार्रवाई को प्री-अप्रूव्ड लोन. ईएमआई में हर महीने एक छोटा सा अमाउंट जेब से जाता है, इसलिए बहुत सारे लोग कई सारे सामान ईएमआई पर खरीद लेते हैं. इस तरह वह अपनी पर्चेजिंग पावर से भी ज्यादा की शॉपिंग कर लेते हैं, जिससे अनसेक्योर्ड लोन बढ़ता हुआ दिखता है.

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