हाल ही में चीन और पाकिस्तान के बीच उच्च स्तरीय बैठक हुई. बैठक में तोपखाने से लेकर मिसाइल प्रणालियों तक अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए पाकिस्तान ने चीन पर भारी निर्भरता को रेखांकित किया. कहा जा रहा है कि यदि कर्ज का गतिरोध लंबा चला, तो पाकिस्तान के लिए परेशानी बढ़ सकती है.
China-Pakistan Relation: चीन और पाकिस्तान के बीच दिखावे की दोस्ती फिर से पूरी दुनिया के सामने आ चुकी है. हाल ही में चीन ने रक्षा उपकरणों की भुगतान में देरी होने पर पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है और कहा है कि समय पर भुगतान नहीं हुआ तो उसकी सेना के लिए रक्षा उपकरण के सप्लाई रोक सकता है. इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी मुलाकात की थी और समय पर भुगतान की करने की बात की गई थी. मालूम हो कि, पाकिस्तान पर चीन का लगभग 1.5 बिलियन डॉलर का कर्ज है. विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान पर दबाव बनाना चीन के एक “रणनीति” का हिस्सा है.
ये भी पढ़ें– खरबूजे से फैल रही रहस्यमयी बीमारी, अमेरिका के 38 राज्यों में दहशत, कनाडा भी जद में, 8 लोगों की मौत से हड़कंप
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में चीन और पाकिस्तान के बीच उच्च स्तरीय बैठक हुई. बैठक में तोपखाने से लेकर मिसाइल प्रणालियों तक अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए पाकिस्तान ने चीन पर भारी निर्भरता को रेखांकित किया. कहा जा रहा है कि यदि कर्ज का गतिरोध लंबा चला, तो पाकिस्तान के लिए परेशानी बढ़ सकती है. इससे न केवल प्रमुख रक्षा प्रणाली पर ग्रहण लग सकता है, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
चीन लगातार कर रहा है मदद
चीन पिछले कुछ समय से पाकिस्तान को उसकी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने में काफी मदद कर रहा है. ये बातें किसी से भी छुपी हुईं नहीं हैं. अभी हाल में पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स भेजने की असफल कोशिश में सेना ने मेड इन चाइना क्वाडकॉप्टर (एक प्रकार का ड्रोन) पकड़ा था. उधर भारतीय नौसेना प्रमुख ने हाल में नौसैनिक क्षमताओं में पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते संबंध पर भी प्रकाश डाला. इसके अलावा, एलओसी पर पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे के निर्माण और संचार नेटवर्क आदि, जहां चीन ने भारी निवेश किया है, सभी को मालूम कि किसकी मदद से ये किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें– भारतीय बाजारों में बिक रहा चीन का नकली लहसुन! अमेरिकी सांसद ने की जांच की मांग, जानें कितना है खतरनाक
पाक के आश्वासन का चीन क्या करेगा?
मेजर जनरल अशोक कुमार (सेवानिवृत्त) ने बताया, “पाकिस्तान सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रहा है, लेकिन धरातल पर चीन को अपना पैसा रिटर्न आते नहीं दिख रहा और न ही सुरक्षा के मोर्चे पर कोई खास बदलाव दिखाई दे रहा है. चीन को भी मालूम है कि वह रक्षा उपकरणों में क्रेडिट-आधारित आपूर्ति या सीपीईसी मामले में पाकिस्तान से अपना समर्थन वापस नहीं ले सकता.”
ये भी पढ़ें– International Study: कनाडा जाकर पढ़ना चाहते हैं, जान लीजिए जस्टिन ट्रूडो का नया तुगलकी फरमान
बढ़ा कर्ज का दायरा
सूत्रों पता चला है कि मौजूदा बकाया सिर्फ बुनियादी ढांचे या संचार परियोजनाओं तक नहीं बल्कि इससे आगे, एयर क्राफ्ट्स, वीटी-4 टैंक, आर्टिलरी गन और मिसाइल सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण चीजें इसमें शामिल हो चुकी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि भुगतान न करने का मुद्दा सच है, लेकिन यह चीन द्वारा पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक “रणनीति” मात्र है. गौरतलब है कि इस मुद्दे का दोनों देशों के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.