इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) क्लाईमेट चेंज में किसानों के लिए मददगार सबित हो रहा है. हाल ही में पूसा ने ऐसा बीज तैयार किया है जो तापमान चढ़ने से पहले ही पककर तैयार हो जाएगा.
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RARI-Pusa new research : किसान हमेशा मौसम पर निर्भर रहता है. बारिश हुई तो फसल ठीक, और नहीं हुई या ज्यादा हो गई तो खराब. इसी तरह गर्मी सामान्य पड़े तो ठीक और ज्यादा या कम पड़े फसल खराब. इस तरह होने वाले क्लाईमेट चेंज को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसके अनुरूप फसलों में बदलाव जरूर किया जा सकता है. इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) क्लाइमेट चेंज में किसानों के लिए मददगार सबित हो रहा है. हाल ही में पूसा ने ऐसा बीज तैयार किया है जो तापमान चढ़ने से पहले ही पककर तैयार हो जाएगा. यानी इस वर्ष जल्दी बुआई कर खेती करने वाल बीज किसानों को मिलेगा.
मौजूदा समय क्लाइमेंट चेंज हो रहा है. कभी बारिश लंबी चल जाती है तो सर्दियां देर से शरू होती हैं. इसी तरह मार्च में ही तापमान बढ़ने लगता है और गर्मी भी जल्दी आ जाती है. तापमान जल्दी बढ़ने से गेंहू की फसल का नुकसान होता था.
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पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राजवीर सिंह बताते हैं कि क्लाइमेंट में होने वाले बदलाव को देखते हुए पूसा ने गेंहू का ऐसे बीज एचडी 3385 तैयार किया है, जिनको अक्तूबर में ही बोया जा सकता है. इसकी पैदावार भी 7 टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है. यह तापमान बढ़ने से पहले तैयार हो जाएगा. इसे अक्तूबर के बाद नवंबर या दिसंबर में भी बोया जा सकता है, लेकिन बाद में बोने में इतना जरूर है कि पैदावार में फर्क पड़ेगा. नवंबर में बोने पर 6 टन और दिसंबर में बोने पर 5 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार हो सकती है. यानी समय से बोने पर दो टन प्रति हेक्टेयर तक का फायदा होगा.
डा. राजवीर सिंह ने बताया कि यह बीज सभी विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं होगा. फिलहाल, 75 कंपनियों के साथ एमओयू साइन हो चुका है.
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केवल इन्हीं कंपनियों के पास यह बीज मिलेगा. अब जल्दी ही विक्रेताओं की लिस्ट भी जारी की जाएगी, जिससे किसान अपने आसपास के विक्रेता के पास से बीज ले सकेंगे.