जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में भरतपुर जिले के गढ़ी मेवात को चोरगढ़ी यूं नहीं कहा जाता है। मेव बहुल गढ़ी मेवात (चोरगढ़ी) में वाहन चोरी और नकली सोने की ईंट बेचने के नाम पर पीढ़ियों से धंधा हो रहा है। यहां बच्चों को होश संभालते ही चोरी करने की चालें सिखाई जाती हैं। दो हजार से अधिक की आबादी वाले इस गांव में मात्र पांच लोग ही ग्रेजुएट हैं। पिछले दो दशक में मात्र दो लोगों की ही सरकारी नौकरी लगी है। राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा से वाहन चोरी कर अपने गांव में छिपाने व फिर फर्जी कागजात तैयार कर इन्हें बेचने का काम कई परिवार तो पीढ़ियों से कर रहे हैं। भरतपुर पुलिस अधीक्षक देवेंद्र विश्नोई का कहना है कि पिछले कुछ समय से वाहन चोरी पर लगाम लगी है। पुलिस की सख्ती के बाद चोरगढ़ी के लोग वाहन चोरी के स्थान पर अब आनलाइन ठगी करने लगे हैं। पुलिस इन पर लगातार निगरानी रखती है, लेकिन फिर भी अन्य राज्यों के लोग कई बार इनके जाल में फंस जाते हैं।
पीढ़ियों से कर रहे हैं चोरी का धंधा
कई बार तो ऐसे भी मौके आते हैं, जब वाहन मालिक को अपनी गाड़ी चोरी होने की जानकारी मिलती है और वह किसी माध्यम से चोरगढ़ी तक पहुंच जाता है, लेकिन उसे अपनी गाड़ी ले जाने के लिए वहां मुंहमांगी रकम देनी पड़ती है। वाहन चोर और गाड़ी मालिक के बीच दलाल (स्थानीय भाषा में खुंटेल) मध्यस्थ की भूमिका अदा करता है। चोरगढ़ी के पास ही खेड़ा और गदरवास गांव के भी कई लोग पीढ़ियों से वाहन चोरी का काम कर रहे हैं। स्थानीय पुलिसकर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार, यहां के लगभग प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में वाहन चोरी के मुकदमें दर्ज हो चुके है। करीब चार साल पहले तक तो यहां वाहनों की मंडी लगती थी। चोरी के वाहनों को खेतों में घास के नीचे छिपाकर रखा जाता था। ग्राहक के गांव में पहुंचने पर घास हटाकर उसे वाहन दिखाए जाते थे। पिछले कुछ साल से आनलाइन ठगी का काम भी करने लगे हैं। इस कारण चोरी किए गए वाहनों को अब यह लोग अपने घरों के अंदर ही रखने लगे हैं।
फर्जी कागजात भी करते हैं तैयार
मेवात विशेषकर चोरगढ़ी के वाहन चोरी का काम करने वाला एक अलग गिरोह है तो उसके फर्जी कागजात बनाने का काम अन्य लोग करते हैं। इन के पास परिवहन विभाग की फर्जी मुहर और छपे हुए दस्तावेज मिल जाते हैं। यह सब हरियाणा से बनवाते हैं। यह वाहनों की फर्जी आरसी तक तैयार कर लेते हैं। खरीददार को वाहन के साथ कागजात इस तरह से देते हैं, जिससे उसे पक्का विश्वास हो जाए कि यह गाड़ी चोरी की नहीं है। बेचने वाला ही मालिक है। परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि देश के किसी भी हिस्से से गाड़ी चुराई हो। चोरगढ़ी में कागज बन जाते हैं।