सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल ऑटो और स्मार्टफोन इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक उत्पाद बनाने में भी इसकी जरूरत होती है. अभी दुनिया के अधिकतर देश चिप की सप्लाई के लिए ताइवान समेत अन्य देशों पर निर्भर है.
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नई दिल्ली. वेदांता (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) का दावा है कि भारत में सेमीकंडक्टर चिप के बनने से कई चीजों के दामों में भारी कमी आएगी. आज 1 लाख रुपये में आने वाला लैपटॉप भारत में चिप निर्माण होने के बाद 40 हजार रुपये का हो सकता है. वेदांता ताइवान की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) के साथ मिलकर गुजरात में 1.54 लाख करोड़ रुपये की लागत से नया सेमीकंडक्टर प्लांट लगा रही है.
सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल ऑटो और स्मार्टफोन इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक उत्पाद बनाने में भी इसकी जरूरत होती है. अभी दुनिया के अधिकतर देश चिप की सप्लाई के लिए ताइवान समेत अन्य देशों पर निर्भर हैं. हमारे सहयोगी चैनल CNBC-TV18 से बातचीत में उन्होंने कहा कि लैपटॉप बनाने के लिए जरूरी ग्लास का निर्माण ताइवान और कोरिया में होता है, लेकिन जल्द ही इसका उत्पादन भारत में भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ग्लास और सेमीकंडक्टर चिप जब भारत में बनने लगेंगे तो बहुत-से प्रोडक्ट्स के रेट काफी कम हो जाएंगे.
महाराष्ट्र में बनेगा मैन्युफैक्चरिंग हब
अनिल अग्रवाल ने कहा कि देश की आंत्रप्रेन्योरशिप क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए वेदांता महाराष्ट्र में भी मैन्युफैक्चरिंग हब को आगे बढ़ाएगी. महाराष्ट्र में मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) जैसे उत्पादों को लक्ष्य में रखा जाएगा.
वेंदाता लगाएगी चिप बनाने का प्लांट
वेदांता ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ मिलकर गुजरात के अहमदाबाद में सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र लगाएगी. वेदांता-फॉक्सकॉन राज्य में 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश चिप और डिस्प्ले एफएबी प्लांट लगाने के लिए करेगी.
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वेदांता और फॉक्सकॉन के ज्वाइंट वेंचर की फंडिंग के बारे में अनिल अग्रवाल ने कहा कि ऐसा कोई भी संस्थान नहीं है जो हमें फंड नहीं देना चाहता है. अग्रवाल ने बताया कि फॉक्सकॉन के पास 38 प्रतिशत इक्विटी होगी. इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा कभी बाधा नहीं बनेगा. भारत में सेमीकंडक्टर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले चार वर्षों यानी वर्ष 2026 तक यह 6300 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है. वर्ष 2020 में यह महज 1500 करोड़ डॉलर का था.