Food Subsidy: सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 7वीं बार बढ़ाया है. अधिकारियों का कहना है कि इससे सब्सिडी में 1.2 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है. बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल चालू वित्त वर्ष के दौरान 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. यह 2 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से लगभग 50% अधिक है. खाद्य सब्सिडी बिल में वृद्धि की मुख्य वजह पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का दिसंबर तक विस्तार करना है. इस योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को सरकार सस्ती दर पर अनाज देती है.
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अब तक खाद्य सब्सिडी के रूप में 2020-21 के बजट में सर्वाधिक 5.2 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे. हालांकि, इस फंड के 3.4 लाख करोड़ रुपये का उपयोग भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से लिए गए ऋण को चुकाने में किया गया था. इससे एफसीआई पर ब्याज का बोझ कम हो गया था.
7वीं बार बढ़ी पीएमजीकेईवाई योजना
सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को सातवीं बार बढ़ाया है. अधिकारियों का कहना है कि इससे सब्सिडी में 1.2 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है. इस योजना के तहत सरकार हर महीने हर लाभार्थी का 5 किलोग्राम अनाज देती है. यह अनाज केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले 5 किलो गेहूं और चावल से अलग है. सरकार ने पीएमजीकेएवाई योजना की शुरुआत साल 2020 में कोरोना के समय में गरीब लोगों को खाना मुहैया कराने के लिए की थी. खाद्य मंत्रालय ने पहले कहा था कि पीएमजीकेएवाई के सातों चरणों में कुल 3.9 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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बढ़ सकता है कुल सब्सिडी खर्च
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में फूड, फर्टिलाइजर और फ्यूल पर सब्सिडी का खर्च बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपए पहुंच सकता है. बजट में इसके लिए सिर्फ 3.2 लाख करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया था. यूक्रेन युद्ध के चलते कमोडिटी की कीमतों में आई उछाल के कारण सब्सिडी बिल में तेज उछाल आया है. सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी का यह लगातार तीसरा साल होगा. भारत सरकार के कुल खर्च का करीब 10% सब्सिडी पर खर्च होता है.
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बजट की तैयारियों में जुटी सरकार
भारत सरकार फिलहाल अपना अगला बजट बनाने की तैयारियों में जुटी है. बजट फरवरी में पेश किया जाएगा. आगामी बजट में ऐसे समय में पेश किया जाएगा, जब दुनिया में मंदी आने की आशंका तेज हो गई है, घरेलू ग्रोथ धीमी हुई है और महंगाई ऊंचे स्तर पर है, जिसके चलते कर्ज की लागत बढ़ गई है.