Aadhaar and PAN update: किसी इंसान की मृत्यु होने के बाद उसके आधार कार्ड और पैन कार्ड का क्या होता है. क्या उसका पैन कार्ड और आधार कार्ड बेकार हो जाता है, या उसका इस्तेमाल मृत्यु के बाद भी कर सकते हैं?
नई दिल्ली. PAN कार्ड और आधार (Aadhaar) कार्ड हमारी जिंदगी के दो ऐसे अहम डॉक्यूमेंट्स हैं, जिनके बिना कई काम रुक जाते हैं. जीते जी जिंदगी के हर मोड़ पर इनकी जरूरत पड़ती है. बैंक में एक खाता खोलने से लेकर बड़े से बड़ा कारोबार खड़ा करने के लिए ये दो डॉक्यूमेंट जरूरी हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि किसी की मौत के बाद PAN और आधार कार्ड का क्या होता है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किसी की मृत्यु के बाद उसके Aadhaar Card और PAN Card जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ क्या करना चाहिए.
मृत्यु के बाद PAN कार्ड का क्या करें
बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट और इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन कार्ड सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट है. इसलिए इस तरह के सभी अकाउंट्स जहां पैन कार्ड की अनिवार्य रूप से जरूरत पड़ती है, तब तक संभालकर रखना चाहिए, जब तक ये पूरी तरह से बंद नहीं हो जाते. जैसे अगर ITR दाखिल करते समय पैन कार्ड तब तक रखना चाहिए, जब तक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से लेकर IT डिपार्टमेंट की प्रक्रिया पूरी न हो जाए.
PAN कार्ड सरेंडर से पहले जरूरी बात
याद रहे कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास ये अधिकार होता है कि वो चार साल के असेसमेंट को दोबाारा खोल सकता है. ऐसे में अगर मृतक का कोई भी टैक्स रिफंड बकाया है तो इस बात को सुनिश्चित कर लें कि वो उसके खाते में क्रेडिट हो गया हो यानी खाते में रिफंड आ गया हो. एक बार खातों को बंद करने, आयकर रिटर्न वगैरह से जुड़े मामले निपट जाएं तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी मृतक व्यक्ति के पैन को आयकर विभाग को सौंप सकते हैं. सरेंडर करने से पहले मृतक के सभी बैंक खाते किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर करा देना चाहिए या बंद कर देना चाहिए.
PAN कार्ड को सरेंडर कैसे करें?
PAN कार्ड को सरेंडर करने के लिए मृतक के प्रतिनिधि या उसके कानूनी उत्तराधिकारी को उस असेसमेंट ऑफिसर को एक एप्लीकेशन लिखना होगा, जिसके अधिकार क्षेत्र में पैन कार्ड रजिस्टर्ड है. एप्लीकेशन में इस बात का जिक्र होना चाहिए कि पैन कार्ड क्यों सरेंडर किया जा रहा है, उसमें नाम, पैन नंबर, मृतक की जन्मतिथि और मृतक के डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी भी अटैच होनी चाहिए. हालांकि मृतक के पैन कार्ड को सरेंडर करना अनिवार्य नहीं है, अगर आपको ये लगता है कि भविष्य में आपको इसकी कभी भी जरूरत पड़ सकती है तो आप इसे रख भी सकते हैं.
मृत्यु के बाद Aadhaar कार्ड का क्या करें
आधार कार्ड एक पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ के तौर पर जरूरी डॉक्यूमेंट है. LPG गैस सब्सिडी, स्कॉरशिप बेनेफिट्स और दूसरी तमाम सरकारी स्कीम का फायदा लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होता है. आधार एक यूनीक नंबर होता है, इसलिए मृत्यु के बाद भी ये नंबर मौजूद रहता है, किसी और को ये नहीं दिया जा सकता.
डीएक्टिवेट नहीं होता आधार नंबर
मृत्यु के बाद आधार का क्या होता है, क्या उसे नष्ट या डीएक्टिवेट किया जा सकता है. इस सवाल के जवाब में सरकार ने खुद संसद में बताया है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका आधार डिएक्टिवेट नहीं होता, क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. यानी फिलहाल किसी मृत व्यक्ति के आधार नंबर को कैंसिल करने की कोई व्यवस्था नहीं है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन के मसौदे पर UIDAI से सुझाव मांगे थे. ताकि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय मृतक का आधार लिया जा सके.
आधार को डेथ सर्टिफिकेट से लिंक करेंगे
आधार को डिएक्टिवेट करने के लिए रजिस्ट्रार से मृत व्यक्तियों का आधार नंबर लेने का अभी कोई मैकेनिज्म नहीं है, लेकिन एक बार इन संस्थाओं के बीच आधार नंबर शेयर करने का फ्रेमवर्क तैयार होने के बाद रजिस्ट्रार मृतक के आधार नंबर को निष्क्रिय करने के लिए UIDAI के साथ शेयर करना शुरू कर देंगे. आधार को डीएक्टिवेट करने या फिर इसके डेथ सर्टिफिकेट से लिंक करने से आधार मालिक की मृत्यु के बाद इसका गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगा.