चंडीगढ़, स्टेट ब्यूरो। Sugarcane Price Hike गन्ना किसानों के मन में हरियाणा सरकार ने मिठास घोल दी है। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया तो हरियाणा सरकार ने गन्ने का दाम प्रति क्विंटल 12 रुपये बढ़ा दिया और अब उसके भाव पंजाब से फिर अधिक हो गए हैं। इससे प्रदेश सरकार पर लगभग 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार पड़ेगा, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा दाम बढ़ाए जाने से गन्ना किसानों को राहत मिलेगी।
विचारणीय है कि अब तक हरियाणा गन्ना किसानों को सर्वाधिक मूल्य दे रहा था। हरियाणा में गन्ने का दाम 350 रुपये प्रति क्विंटल दिया जा रहा था तो पड़ोसी पंजाब की सरकार गन्ने के दाम 310 रुपये दे रही थी। वहां के गन्ना किसानों ने आंदोलन किया तो पंजाब सरकार ने 50 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ा दिए, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अब हरियाणा ने गन्ने का दाम 12 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर पंजाब को फिर पीछे कर दिया है। यह भी विचारणीय है कि पंजाब सरकार के लिए गन्ने के दाम बढ़ाना विवशता थी। वहां के किसान इसके लिए हरियाणा में मिल रहे गन्ने के दाम को आधार बनाकर दाम बढ़ाए जाने की मांग कर रहे थे।

पंजाब में चुनाव भी निकट हैं, लेकिन हरियाणा में ऐसी कोई विवशता नहीं थी, फिर भी प्रदेश सरकार ने गन्ने के दाम बढ़ाकर संवेदनशीलता का परिचय दिया है। वैसे भी हरियाणा की तुलना अन्य प्रदेशों से हो ही नहीं सकती। हरियाणा सरकार गेहूं, धान, सरसों, बाजरा, चना, मूंग, मक्का, मूंगफली, कपास और सूरजमुखी सहित 10 फसलें किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है। अन्य प्रदेशों में सरकारें केवल धान और गेहूं ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती हैं। यही कारण है कि अन्य प्रदेशों की सरकारों को इन फसलों की खरीद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करनी चाहिए।
