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पेपर लीक होने के कारण रद हुई परीक्षाएं युवाओं के सपनों के साथ सरकार की साख पर भी आघात

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कपिल अग्रवाल। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपीटेट के प्रश्नपत्र परीक्षा से महज कुछ घंटे पहले लीक हो गए। इस साल प्रश्न पत्र लीक होने की यह दसवीं बड़ी वारदात थी। इसने सुरक्षा उपायों व सतर्कता को लेकर संपूर्ण परीक्षा प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। सरकार ने भले ही नुकसान की भरपाई के लिए नए सिरे से परीक्षा कराने और परीक्षा केंद्रों तक मुफ्त परिवहन सेवाओं की पेशकश की हो, मगर उन तमाम युवाओं पर क्या बीती होगी जो पैसे खर्च कर और जरूरी काम छोड़कर परीक्षा देने केंद्रों पर पहुंचे। इससे पूर्व सेना से लेकर नीट व जेईई जैसी बड़ी परीक्षाएं भी पेपर हैकरों के चलते रद करनी पड़ीं। अधिकांश मामलों में संबद्ध विभाग के कर्मचारी संलिप्त पाए गए, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह एक संगठित उद्योग बन गया है जिसमें कई स्तरों पर मिलीभगत रहती है।

ऐसे मामलों में उच्च स्तर पर भी तकनीकी रूप से अप्रशिक्षित अधिकारी, किसी की जवाबदेही न होना तथा सरकारी सर्वरों की भूमिका विशेष है, क्योंकि वे पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते और उनके कोड, प्रश्नपत्र अपलोडिंग समय व पासवर्ड आदि अति गोपनीय विवरण कई कार्मिकों की जानकारी में होता है। दूसरी ओर कमजोर कानून व्यवस्था व असली मुजरिम को पकड़ लेने के बावजूद दोष सिद्ध कर पाना बहुत दुष्कर कार्य है, क्योंकि तिकड़मी अपराधी बच निकलने के रास्ते जानते हैं। जैसे कि हरियाणा में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा तथा राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा लीकेज मामले में 40 से ज्यादा गिरफ्तारियों के बावजूद अभी तक जांच एजेंसियां कुछ खास नहीं कर पाई हैं। हरियाणा में हैकरों को डाटा अपलोडिंग समय की जानकारी मौखिक रूप से दे दी गई थी।

पिछले पांच वर्षो पर गौर करें तो बैंकिंग क्षेत्र अब तक ऐसी वारदातों से अछूता है, क्योंकि एक तो उनका अपना स्वायत्तता प्राप्त चयन बोर्ड है और फिर सारे संबंधित अधिकारी तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित विशेषज्ञ हैं। इसके अलावा समस्त कोड, पासवर्ड आदि को लेकर केवल एक व्यक्ति विशेष जवाबदेह है। असल में ऐसी वारदातें न केवल बेरोजगार युवा परीक्षार्थियों तथा सरकार को आर्थिक व मानसिक नुकसान पहुंचाती हैं, वरन सरकार की साख और विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।

परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर तो सवाल उठते ही हैं। परीक्षाओं की विश्वसनीयता बहाल करने और अपनी साख बचाए रखने के लिए अब जरूरी है कि सरकार नियम-कानून सख्त कर दोषियों पर न केवल जुर्माने की राशि करोड़ों में करें, बल्कि फांसी तक की सजा मुकर्रर की जाए। इसके साथ ही उच्च स्तर पर संबंधित परीक्षा विभाग में किसी एक की जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि युवा बेरोजगारों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले बेदाग न निकल पाएं। तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।

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