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वैश्विक आधार पर डिजिटल पहचान प्रणाली बनाने के लिए, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना चाहता है आधार

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नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) दुनिया भर में डिजिटल पहचान प्रणाली बनाने के लिए विदेशी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना चाहता है। एक शीर्ष अधिकारी ने बयान देते हुए इस बात की जानकारी उपलब्ध कराई है। यूआईडीएआई के सीईओ सौरभ गर्ग ने इन्फिनिटी फोरम में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के साथ एक पैनल चर्चा के दौरान बयान देते हुए यह कहा कि, “प्राधिकरण सुरक्षा बढ़ाने और आधार का उपयोग करके किए जा सकने वाले लेनदेन की संख्या बढ़ाने के लिए उभरती हुई तकनीक की खोज कर रहा है। हमें लगता है कि आगे जाकर हमें अन्य देशों के साथ सहयोग करने में खुशी होगी, हम राष्ट्रीय पहचान के मानकों के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी सहयोग करना चाहेंगे। हम विभिन्न राष्ट्रों के साथ सहयोग करने के लिए आने वाले समय का इंतजार कर रहे हैं। डिजिटल पहचान, जो कि मौजूदा समय में सशक्तिकरण का एक साधन बन चुकी है, वह दुनिया भर में उपलब्ध है।”

इसके अलावा यूआईडीएआई के सीईओ सौरभ गर्ग ने यह भी कहा कि, “भारत में 99.5 फीसद आबादी के पास आधार उपलब्ध है और विभिन्न लेनदेन को सत्यापित करने के लिए दैनिक आधार पर 50 मिलियन प्रमाणीकरण किया जाता है। यूआईडीएआई विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र के साथ काम कर रहा है ताकि अन्य देशों में आधार संरचना को दोहराया जा सके। इसके अलावा हम सुरक्षा, ब्लॉकचेन को मजबूत करने के तरीके पर क्वांटम कंप्यूटिंग को प्रयोग करना चाहते हैं और हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) पर भी विचार कर रहे हैं। यूआईडीएआई दस्तावेजों के सत्यापन में एआई और एमएल का उपयोग करना चाहता है। इस संगठन का अंतिम लक्ष्य लोगों को आधार प्लेटफॉर्म का उपयोग करके बड़ी संख्या में लेनदेन करने में सक्षम बनाना है। मैं यह मानता हूं कि, पेटीएम और पेटीएम बैंक ग्राहक बोर्डिंग में आधार प्रौद्योगिकी के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहे हैं।”

कुल मिलाकर, भारत का फिनटेक उद्योग आधार पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित है जिसे यूआईडीएआई टीम ने बनाया है। मैं उस तकनीकी पैमाने को साझा करना चाहता हूं जो आमतौर पर सरकारी संगठनों के साथ नहीं देखा जाता है। मैं यह स्वीकार करना चाहता हूं कि ये सबसे अच्छे एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) हैं जो हमारे पास इस देश में थ्रूपुट और स्केल के लिए हैं।”

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