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ओडिशा

ओडिशा विधानसभा में भाजपा विधायकों ने बजाया घंटा, शासक दल ने छिड़का गंगाजल

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा विधानसभा में पिछले पांच दिन से जो चल रहा था, मंगलवार को भी वही हुआ। विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और विरोधी दल भाजपा एवं कांग्रेस के विधायक सदन के मध्य भाग में आकर मंत्री दिव्य शंकर मिश्र को बहिष्कार करने की मांग कर हो हल्ला करने लगे। भाजपा के विधायक घंट-घंटा बजाते दिखे तो कांग्रेस के विधायक नारेबाजी। वहीं शासक दल के विधायक, विरोधी दल के विधायकों पर गंगा जल का छिड़काव करते देखे गए। सदन में शोर-शराबा होने से विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने सदन की कार्यवाही को अपराह्न 4 बजे तक मुलतवी घोषित कर दिया।

इस संदर्भ में भाजपा विधायक दल के उपनेता विष्ण सेठी ने कहा है कि मुख्यमंत्री विधानसभा को नहीं आ रहे हैं, उन्हें नींद से जगाने के लिए भाजपा के विधायक घंटानाद कर रहे हैं। महाप्रभु जगन्नाथ जी मुख्यमंत्री को सद्बबुद्धि दें, इसके लिए प्रभु जगन्नाथ जी की प्रतिमूर्ति रखककर पूजा करते हुए प्रसाद आवंटित किया गया। ममिता मेहेर को न्याय देने के लिए मंत्री दिव्य शंकर मिश्र को बहिष्कार एवं मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देकर मुख्यमंत्री जी सदन में आइए। किसानों के साथ विभिन्न समस्या पर चर्चा करनी है। भाजपा विधायकों के घंट-घंटा बजाने से पूरा सदन परिसर प्रकंपित हो गया।

वहीं दूसरी तरफ केन्द्रीय उपेक्षा को लेकर शासक बीजद के विधायकों ने आज फिर विधानसभा परिसर में मौजूद गांधी जी की प्रतिमूर्ति के नीचे धरना दिया है। प्लाकार्ड ए​वं पोस्टर पकड़कर नारेबाजी की। बीजद के विधायकों का कहना है कि सही प्रसंग पर चर्चा न कर विरोधी दल अप्रसंग को लेकर विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं। इससे राज्य के अनेक महत्वपूर्ण प्रसंग पर चर्चा नहीं हो पा रही है। पेट्रोलियम की दर वृद्धि हो, रसोई गैस दर वृद्धि हो या फिर धान की एमएसपी बढ़ाने का प्रसंग, चर्चा नहीं हो पा रही है। राज्य के प्रति केन्द्र सरकार के सौतेले मनोभाव के कारण राज्य के लोगों को परेशानी हो रही है। राज्य सरकार सकारात्मक मनोभाव के साथ इन तमाम विषयों पर चर्चा करना चाह रही है, मगर विरोधी दल चर्चा नहीं होने दे रहे हैं, ऐसे में बीजद के विधायकों ने गांधी की प्रतिमूर्ति के नीचे धरना दिया है।

गौरतलब है कि सोमवार को भी सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा एवं कांग्रेस के विधायक सदन के मध्य भाग में आ गए थे। कांग्रेस के विधायक विधानसभा अध्यक्ष के पोडियम पर चढ़कर उनके पीछे एवं साइड में खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। भाजपा के विधायकों ने पोडियम के नीचे खड़े होकर प्लाकार्ड दिखाते हुए नारेबाजी किया। विरोधी के नारेबाजी से पूरा सदन प्रकंपित हो उठा। इसी बीच शासक दल के विधायक अपनी सीट से खड़े हुए और सभी जयीराजगुरू का मुखौटा पहनकर पाइक विद्रोह को पहला स्वतंत्रता संग्राम की मान्यता देने के साथ ही केन्द्र सरकार की उपेक्षा को लेकर नारेबाजी करने लगे। शासक एवं विरोधी दल के बीच चल रही नारेबाजी से सदन में शोर-शराब बढ़ गया। विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नायायण पात्र ने सभी को अपने आसन पर बैठने को कहा मगर किसी नहीं सुनी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को अपराह्न 4 बजे तक मुलतवी घोषित कर दिया।

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