All for Joomla All for Webmasters
छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: भूपेश सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, मीसाबंदियों को लेकर सुनाया ये फैसला

bhupesh

बिलासपुर हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों के हक में निर्णय लेते हुए भूपेश सरकार को दोबारा उन्हें पेंशन सुविधा देने का आदेश सुनाया है.

बिलासपुर: भूपेश सरकार को मीसाबंदियों की पेंशन रोकने के मामले में तगड़ा झटका लगा है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों के हक में निर्णय लेते हुए दोबारा पेंशन सुविधा देने का आदेश सुनाया है. मीसाबंदियों की ओर से दायर याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस एके गोस्वामी व जस्टिस एनके व्यास के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को दुर्भावनापूर्ण करार दिया है.

हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के 2020 में जारी नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं. बता दें सरकार ने साल 2008 से शुरू हुई मीसाबंदियों की पेंशन भौतिक सत्यापन और समीक्षा के नाम पर 2019 में रोक दी थी. इस संबंध में सरकार ने 2020 में दो नोटीफिकेशन जारी किए थे.

सरकार ने दी थी चुनौती
इससे पहले जस्टिस कोशी की सिंगल बेंच ने मीसाबंदियों को पेंशन देने के आदेश दिए थे. इस फैसले को सरकार ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी. सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए भूपेश सरकार की ओर से अलग—अलग 39 रिट अपील लगाई गईं थी. इन सभी अपीलों को डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है.

कब हुई थी शुरुआत
मीसाबंदियों को पेंशन की शुरुआत रमन सरकार के कार्यकाल में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 के माध्यम से हुई थी. मीसाबंदी की मृत्यु पर विधवा को सम्मान निधि की आधी राशि राज्य सरकार देती थी.

कौन हैं मीसाबंदी
1975 में लगे आपातकाल के दौरान मीसा कानून लागू किया गया था. इस कानून का विरोध करके जेल जाने वाले लोगो को मीसाबंदी कहा जाता है. आपातकाल के दौरान मीसा कानून का विरोध करने के कारण उन्हें लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा भी दिया गया था, लेकिन कई गैर भाजपा शासित राज्यों में मीसाबंदियों की पेंशन रोक दी गई है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top