नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Budget 2022 में टैक्सपेयर के लिए कोई खास ऐलान नहीं हुआ। उम्मीद की जा रही थी कि इनकम टैक्स स्लैब में कुछ फेरबदल हो सकता है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में राहत मिल सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में आयकर से जुड़ी कुछ रियायतें दी हैं, जा आम आदमी की जेब पर असर डालेगी। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक इन राहतों में ITR और दूसरी सुविधाएं शामिल हैं। ये रियायतें 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगी।
ITR में राहत
ITR में आमदनी का ठीक-ठीक आकलन करने में चूक या गलती की है तो अब आयकर विभाग ऐसी गलतियों को सुधारने का मौका देगा। इसके लिए टैक्सपेयर को अतिरिक्त टैक्स अदा कर रिवाइज ITR भरने का मौका मिलेगा। यह ITR असेसमेंट वर्ष के अंत से दो साल के भीतर दाखिल किया जा सकता है।
अभी क्या है व्यवस्था
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक अगर आयकर को यह पता चलता है कि करदाता ने ITR में कुछ आमदनी को नहीं बताया है तो उस पर लंबा केस चलता है। लेकिन अब करदाताओं को ITR में गलती सुधारने का मौका दिया जाएगा।
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सहकारी समितियों को राहत
सहकारी समितियां साढ़े अठारह प्रतिशत की दर पर टैक्स पे करती हैं। जबकि कंपनियां 15 प्रतिशत की दर से पेमेंट करती हैं। इस बार बजट में सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच बराबरी लाई गई है। सहकारी समितियों भी अब 15 प्रतिशत की दर से टैक्स भर पाएंगी। सहकारी समितियों के लिए अधिभार की दर भी मौजूदा 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत करने का प्रस्ताव इस बार बजट में किया गया है। ये वे समितियां होंगी जिनकी कुल आमदनी 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक है।
दिव्यांगों के अभिभावकों को तोहफा
मौजूदा कानून में माता-पिता या अभिभावक को तभी टैक्स छूट का फायदा मिलता है, जब दिव्यांग व्यक्ति के माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु हो गई हो या 60 साल की उम्र पार करने पर। ऐसी परिस्थितियां भी हो सकती हैं जब दिव्यांग आश्रितों को उनके माता-पिता/अभिभावकों के जीवित रहने के दौरान भी प्रीमियम या एकमुश्त रकम के पेमेंट की जरूरत पड़े। इसलिए इस बार बजट में माता-पिता/अभिभावकों के जीवित रहते उनके 60 साल के होने पर प्रीमियम और एकमुश्त रकम की अदायगी की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है।
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राज्य कर्मचारियों के फायदे की बात
केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) Tier-I में अपने कर्मचारियों के वेतन में 14 प्रतिशत का योगदान करती है। लेकिन राज्य कर्मचारियों के मामले में ऐसी कटौती वेतन के 10 प्रतिशत की सीमा तक ही स्वीकृत है। अब राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान पर कर कटौती सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।