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अशनीर ग्रोवर के खिलाफ आया Bharatpe का बयान, जानिए क्‍यों कोस रहे थे निवेशकों को

भारतपे (Bharatpe) के सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) कथित धोखाधड़ी अभद्र व्यवहार और कॉरपोरेट प्रशासन के मुद्दों पर जांच का सामना कर रहे हैं जिसके बाद उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया। इस पर कंपनी ने टिप्‍पणी की है ।नई दिल्‍ली, पीटीआइ। भारतपे (Bharatpe) के सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) के फर्म के इन्‍वेस्‍टरों पर गुस्‍सा निकालने पर कंपनी ने कहा है कि बोर्ड के सदस्यों की ईमानदारी पर सवाल उठाना और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करना पीड़ादायक है। बता दें कि ग्रोवर कथित धोखाधड़ी, अभद्र व्यवहार और कॉरपोरेट प्रशासन के मुद्दों पर जांच का सामना कर रहे हैं, जिसके बाद उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया।

भारतपे ने कहा कि बोर्ड ने कंपनी के सर्वोत्तम हित में अपने सभी कामकाज में उचित प्रक्रिया का पालन किया है। हम आग्रह करेंगे कि प्रशासनिक समीक्षा और बोर्ड की बैठकों की गोपनीयता और अखंडता को बनाए रखा जाए। ग्रोवर इस समय लंबी छुट्टी पर हैं और कोटक महिंद्रा बैंक के साथ उनका विवाद सामने आने के बाद भारतपे की स्वतंत्र समीक्षा की जा रही है। ऐसे में कंपनी के कामकाज से जुड़े कई मामले सामने आ सकते हैं।

दरअसल जनवरी की शुरुआत में आए एक ऑडियो क्लिप में ग्रोवर कथित तौर पर कोटक महिंद्रा बैंक के एक कर्मचारी को फोन पर धमकाते हुए सुनाई दिए थे। वह नायका के आईपीओ के दौरान शेयर आवंटन में बैंक की तरफ से गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए सुनाई दिए थे। बाद में ग्रोवर ने कथित तौर पर यह कहा कि छुट्टी पर जाने के लिए कंपनी के निवेशकों ने उन पर दबाव बनाया और उनका सीईओ समीर सुहैल पर से भरोसा उठ गया है।

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भारतपे ने बयान में कहा कि हमें इस बात का गहरा दुख है कि भारतपे के बोर्ड या बोर्ड के सदस्यों की ईमानदारी पर बार-बार गलत तथ्यों और निराधार आरोपों के जरिए सवाल उठाए जा रहे हैं। कंपनी ने सभी लोगों से संयम बरतने का अनुरोध किया। ग्रोवर ने सीईओ को बोर्ड से बाहर करने की मांग की है। ग्रोवर ने बोर्ड के सदस्यों को इस बारे में पत्र लिखा है। ग्रोवर ने ही समीर को कंपनी के बोर्ड में शामिल करने के लिए नॉमिनेट किया था।

भारतपे के दूसरे कोफाउंडर शाश्वत मनसुखभाई नकरानी ने भी समीर को बोर्ड से हटाने की मांग की है। नकरानी और ग्रोवर ने संयुक्त रूप से 20 अगस्त 2021 को समीर को बोर्ड में नॉमिनेट किया था। कंपनी के संविधान के मुताबिक कंपनी के हर फाउंडर को बोर्ड में एक डायरेक्टर नॉमिनेट करने का अधिकार है।

एक इंटरव्यू में ग्रोवर ने कहा कि कंपनी के इन्वेस्टर्स उनके खिलाफ हो गए हैं और उन्हें कंपनी से बाहर कर देना चाहते हैं। लेकिन मैं भी आसानी से हार मानने वाला नहीं हूं। उन्होंने इन्वेस्टर्स से कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तीन बड़ी लॉ फर्मों को हायर किया है। उनकी मांग है कि उन्हें फिर से कंपनी में वापस लाया जाए या उन्हें 4000 करोड़ रुपये दिया जाए। यह कंपनी में उनकी हिस्सेदारी की कीमत है। कंपनी में ग्रोवर की करीब 9 फीसदी हिस्सेदारी है।

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