शहर में अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स वसूलने की नगर निगम ने बजट में घोषणा कर दी है। सत्या कौंडल ने अपने बजट में शहर में बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाकर निगम की आय को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।
शिमला, जागरण संवाददाता। शिमला शहर में अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स वसूलने की नगर निगम ने बजट में घोषणा कर दी है। नगर निगम की मेयर सत्या कौंडल ने अपने बजट में शहर में बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाकर निगम की आय को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि शहर में 2015 में इसे एक बार शुरू किया था लेकिन उस समय निगम ने राष्ट्रीय राजमार्ग की मंजूरी के बगैर ही बेरियर लगा दिए थे। इसलिए हाईकोर्ट के आदेशों के बाद निगम को इसे बंद करना पड़ा था। अब मेयर ने इसे लगाकर आय बढ़ाने की बात कही हैं। शहर में नए साल के स्वागत के लिए ही एक ही दिन में हजारों वाहन पहुंचते हैं। 10 हजार के लगभग वाहन एक ही दिन में पहुंच जाते हैं।
ये हैं निगम की योजना, न बेरियरों पर लगेगा जाम
नगर निगम ने इस बार ग्रीन टैक्स के लिए योजना तैयार की है। इसके तहत न ही वाहन मालिक को बेरियर पर रुकना होगा। न ही शहर की सीमाओं पर वाहनों की लंबी कतारें लगेगी। वाहन मालिक या चालक आन लाइन या होटल में इसका भुगतान कर सकेंगे। मोबाइल फोन से ही आनलाइन इसकी अदायगी का एप बनेगा।
वाहन के शिमला में रूकने की अवधि पर निर्भर करेगी फीस, 100 से 300 रुपये तक होगी
ग्रीन टैक्स की राशि वाहन और उसके शिमला में रहने वाली समयावधि पर निर्भर करेगी। 100 से लेकर 300 रुपये प्रति वाहन की दर तय की जा सकती है। इस योजना से निगम को सालाना 15 करोड़ की आय होगी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम की आर्थिक सेहत को सुधारने में यह बेहतर कदम साबित होगा। दो साल से कोरोना से चलते इसे लागीू नहीं किया जा रहा है। इस बार इसे लागू करने की पूरी तैयारी चल रही है।
पीक सीजन में शहर में पहुंचते हैं पांच हजार वाहन
शहर में पीक टूरिस्ट सीजन के दौरान एक ही दिन में पांच हजार वाहन अन्य राज्यों से पहुंचते हैं। इसलिए निगम को इस योजना से बेहतर आय की उम्मीद है। इस साल भी 25 से लेकर 31 दिसंबर के बीच में 18 हजार से ज्यादा वाहन शिमला आए थे। इससे निगम को इस योजना से बेहतर आय होने की उम्मीद है।
2015 में भी किया था शुरू
नगर निगम ने शहर में वर्ष 2015 में भी ग्रीन टैक्स वसूलना शुरू कर दिया था। इसके लिए शहर के एंट्री प्वाइंट्स पर बैरियर तक लगा दिए थे। दो से तीन महीने तक इस योजना पर शहर में काम किया गया। इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे बंद कर दिया था। उस समय राष्ट्रीय राजमार्ग का अनापत्ति प्रमाणपत्र न होने के कारण निगम की योजना सिरे नहीं चढ़ सकी थी। निगम ने बिना अनापत्ति पत्र के ही बैरियर लगा दिए थे। अब फिर से इस योजना को लागू करने की तैयारी है। इस बार निगम सभी एजेंसियों के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही योजना को शुरू करेगा।