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क्या देश छोड़ देंगी VPN कंपनियां? नए कानून पर मचा बवाल, जानें क्या है वीपीएन

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VPN एक ऐसी सर्विस है जो की आपके डेटा को एंक्रिप्ट करता है और साथ में आपके IP ऐड्रेस को दूसरों से छुपाता भी है. यह आपके डाटा को लीक होने से बचाती है और आपको ऑनलाइन गोपनियता प्रदान करती है. इससे आपकी ऑनलाइन पहचान दूसरों से छुपी रहती है, फिर चाहे आप किसी पब्लिक Wi-Fi network का ही इस्तमाल क्यूँ न कर रहे हों.

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के साथ सुरक्षा को लेकर भारत सरकार ने अपने एक फैसले में कहा है कि VPN कंपनियों को यूजर्स का डाटा पांच सालों तक सुरक्षित रखना होगा और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को देना होगा. सरकार के इस फैसले पर कुछ प्रमुख VPN कंपनियों ने आपत्ति दर्ज कराई है. NordVPN जैसी कई बड़ी कंपनियों ने कहा है कि यदि सरकार अपना फैसले नहीं बदलती या फिर कोई दूसरा विकल्प नहीं देती तो उन्हें मजबूरन भारतीय बाजार से अपना बिजनेस समेटने पड़ेगा.

क्या होता है वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN)

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कि आपके डाटा को एंक्रिप्ट (एक तरह की कूट भाषा) करता है और आपके IP ऐड्रेस को भी छिपाता है. ऐसे में आपकी इंटरनेट की पहचान और ट्रैकिंग नहीं होती है. VPN का इस्तेमाल आप पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क पर भी कर सकते हैं. आप किसी कंप्यूटर या मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं, क्या काम कर रहे हैं इसके बारे में कोई जान नहीं सकता. जबकि ओपन नेटवर्क में जब भी आप कुछ सर्च करते हैं तो तमाम तरह की साइट कूकिज के जरिए आपकी जानकारी लेती हैं और उसका इस्तेमाल विज्ञापन में करती हैं. VPN का इस्तेमाल आजकल ठगी और क्राइम के लिए भी होने लगा है जो आम लोगों के लिए बड़ी मुश्किल भी है.

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VPN पर सरकार का रुख

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एजेंसी CERT ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा कि VPN सर्विस प्रोवाइडरों को अपने यूजर्स का नाम, ई-मेल आईडी और IP एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सुरक्षित रखना होगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी कारण से किसी VPN कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तब भी उससे सरकार डाटा मांगा सकती है और कंपनी को यूजर्स का डाटा सरकार को उपलब्ध कराना होगा.

VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है. सरकार ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सभी सर्विस प्रोवाइडरों को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए.

सरकारी एजेंसी ने कहा कि यदि कोई वीपीएन सेवा प्रदाता सरकार को डाटा नहीं देती या निर्देशों का पालन नहीं करती तो आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 70बी की उप-धारा (7) और अन्य कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.

VPN कंपनियों की मांग

Surfshark VPN ने कहा है कि वह अपने यूजर्स की प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखता है. वह यूजर्स की ब्राउजिंग हिस्ट्री या लॉगिन डीटेल स्टोर नहीं करता है. कंपनी के मुताबिक रैम ओनली सर्वर के जरिए काम करती है जो कि यूजर के डाटा को अपने आप ओवरराइट कर देता है. एक अन्य VPN सर्विस प्रोवाइडर Laura Tyrylyte ने का कहना है कि वह भी अपने ग्राहकों की सिक्योरिटी का ख्याल रखती है. यदि सरकार नई पॉलिसी में बदलाव नहीं करती है तो हमें अपना सर्वर भारत से खत्म करना होगा.

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