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Experiment: बढ़ती उम्र को रोकने के लिए वैज्ञानिकों का कमाल, जानिए बूढ़े चूहे कैसे बन गए जवान

Experiment on Mice: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने जवान चूहे के मल को बूढ़े चूहों में ट्रांसप्लांट किया तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. पुराने चूहों में यंग चूहों की तरह के लक्षण दिखाई देने लगे.

British Scientists Experiment on Mouse: दुनिया में हर कोई जवान दिखना चाहता है. इस दिशा में दुनियाभर के वैज्ञानिक (Scientists) अपने प्रयास में लगे हुए हैं. बढ़ती उम्र के असर को कम करने के लिए अब तक कई प्रयोग किए गए हैं. इस बीच ब्रिटिश वैज्ञानिकों (British Scientists) ने एक प्रयोग किया है जो बेहद ही चौकाने वाला है. वैज्ञानिकों ने हैरान करने वाले प्रयोग में एक बूढ़े चूहे (Old Mouse ) को जवान बना दिया. वैज्ञानिकों की टीम ने अनुसंधान के दौरान जवान चूहों से बूढ़े चूहों में फीकल माइक्रोब्स को ट्रांसप्लांट किया जिससे बूढ़े चूहों की आंत, आंख और दिमाग जवान चूहों (young Mouse) की तरह काम करने लगे.

बूढ़े चूहे बन गए जवान!

ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इसके लिए जवान चूहे के मल को बूढ़े चूहे में ट्रांसप्लांट किया. जिसके बाद पुराने चूहों में यंग चूहों की तरह के लक्षण दिखने लगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि जब उन्होंने बूढ़े चूहों में युवा चूहों के मल का ट्रांसप्लांट किया तो बूढ़े चूहों में बॉडी के लिए फायदेमंद माइक्रोब्स पहुंच गए. इस रिसर्च को माइक्रोबायोम में प्रकाशित किया गया है.

वैज्ञानिकों ने जब प्रयोग को पलटा

वहीं हैरान करने वाले नतीजे आने के बाद वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग को पलट दिया. इसका मतलब ये हुआ कि अब अधिक उम्र वाले चूहे के मल को जवान चूहों में ट्रांसप्लांट किया गया. इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने पाया कि जवान चूहों में बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगे. दिमाग और रेटिना में सूजन बढ़ गई थी. वहीं आंखों की रोशनी के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले प्रोटीन की भी कमी दिखी.

आतें मजबूत हो तो बॉडी स्वस्थ?

ये बात बिल्कुल सत्य है कि जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती जाती है, बॉडी कमजोर और आंतें भी पहले की तरह काम नहीं करती हैं. इस प्रयोग से एक बात स्पष्ट है कि अगर आतें मजबूत हो तो किसी भी जीव या फिर इंसान की शारीरिक क्षमता मजबूत रह सकती है. हालांकि वैज्ञानिकों ने अभी चूहों पर ही इसका प्रयोग किया है. 

इंसानों को जवान रखने की दिशा में प्रयोग

वैज्ञानिकों ने युवा चूहों के मल के रोगाणुओं (Microbes) को बूढ़े चूहों में ट्रांसप्लांट किया, तो इससे दिमाग (Brain) और रेटिना में सूजन खत्म होने लगी. प्रयोग से ये साबित होता है कि आंतों के माइक्रोबायोटा का इंसान की जिंदगी में काफी अहम भूमिका है. फिलहाल वैज्ञानिक ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आंत इंसान के सेहत से जुड़ी है चाहे वो शारीरिक स्वास्थ्य हो या फिर मानसिक. 

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