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Federal Rate Hike Impact: बाजार पर खतरा-रुपया गिरने का डर, फेड के ब्याज दरें बढ़ाने का ये होगा भारत पर असर

Federal Rate Hike Impact on India: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में 0.75 फीसदी का भारीभरकम इजाफा करने के बाद इसका भारत पर कैसा असर आने वाला है, इस सवाल का जवाब आपको यहां मिल सकता है.

Federal Rate Hike Impact on India: अमेरिका में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. अमेरिकी फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है और इतनी बड़ी बढ़ोतरी 28 सालों के बाद यानी 1994 के बाद की गई है. अमेरिका का ये कदम भारतीय बाजार पर भी असर डाल सकता है और इसके चलते वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में भी बदलाव देखा जा सकता है. 

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क्यों उठाया अमेरिका ने ये कदम
बता दें कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने का ये फैसला वहां बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिये हुआ है. अमेरिका में महंगाई दर 40 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर आ गई है और मई के महीने में ये 8.6 फीसदी पर रही थी. फेडरल रिजर्व ने कहा है कि वो अमेरिका में महंगाई दर को 2 फीसदी पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसलिए दरों में इजाफा करने का निर्णय लिया गया है.

भारत और भारतीय बाजार पर कैसा होगा असर
अमेरिकी फेडरल बैंक के ब्याज दरों में इजाफा करने का असर भारतीय रुपये पर पड़ सकता है और ये ज्यादा नीचे जा सकता है. डॉलर के मुकाबले रुपया पहले ही 78.22 रुपये प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर पर जा चुका है. हालांकि आज इसमें हल्की मजबूती आई है और ये 78.07 के लेवल पर आ गया है. फिलहाल डॉलर के मुकाबले रुपया पहले से ही अपने निचले स्तर पर है, ऐसे  में अमेरिकी बैंक का ये कदम भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

दुनियाभर के देशों पर हो सकता है असर, भारतीय बाजार भी अछूता नहीं
फेडरल बैंक के ब्याज दरों में इजाफे से अमेरिका को महंगाई से राहत मिल सकती है लेकिन भारत समेत दुनिया भर के देशों को खामियाजा उठाना पड़ सकता है. फेडरल बैंक के ब्याज दर बढ़ाने से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत घट सकती है जिसका असर भारत के आयात खर्च पर पड़ेगा. डॉलर महंगा होने से भारत का इंपोर्ट का खर्च बढ़ेगा और देश का व्यापार घाटा और ज्यादा बढ़ सकता है जिसमें हाल के दिनों में तेजी देखी गई है. 

घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की निकासी बढ़ सकती है
फेड के दरें बढ़ाने के बाद से डॉलर के रेट में तेजी आएगी और इसके चलते विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी भारतीय बाजार में बढ़ सकती है. विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार की तुलना में अमेरिकी बाजार या डॉलर आधारित बाजारों में निवेश करना ज्यादा फायदे का सौदा होगा लिहाजा वो भारत के शेयर बाजार की तुलना में यूएस मार्केट या अन्य बाजारों में ज्यादा निवेश करेंगे. भारत में निवेश घटाने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी कम होने का खतरा पैदा हो जाएगा.

भारतीय शेयर बाजार और गिरने का डर
जब विदेशी निवेशक घरेलू बाजार से निवेश निकालेंगे तो भारतीय बाजारों का और गिरना तय हो जाएगा. पहले ही रिपोर्ट आई हुई है कि लगातार 9 महीनों से भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों ने अपना इंवेस्टमेंट घटाया है. अगर ये सिलसिला जारी रहता है तो इंडियन स्टॉक मार्केट में बिकवाली के दबाव के कारण निचले लेवल देखे जाएंगे.

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अमेरिकी और भारतीय बॉन्ड के बीच अंतर बढ़ेगा
फेडरल रिजर्व के दरें बढ़ाने के फैसले के बाद भारतीय और अमेरिकी बॉन्ड की दरों का अंतर बढ़ेगा और बॉन्ड यील्ड घटने से देश के निवेशकों की पूंजी भी घटेगी. इसका असर भारत के निवेशकों की संपत्ति पर भी आएगा. 

कुल मिलाकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ये फैसला भारतीय बाजारों के लिए डर का माहौल बना सकता है और इससे घरेलू और विदेशी निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर आएगा. भारतीय बाजार वैसे ही नाजुक दौर में चल रहे हैं तो ऐसे में फेड का ये फैसला भारत के लिए तो अनुकूल नहीं ही कहा जा सकता है.

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