25 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार व्रत और सोम प्रदोष (Sawan Pradosh Vrat) है. इस दिन दो राजयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
हाइलाइट्स
इस बार प्रदोष व्रत के साथ है सावन का दूसरा सोमवार व्रत.
सावन का प्रदोष व्रत होता है विशेष फलदायी.
सावन सोम प्रदोष व्रत पर बने हैं सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी.
सावन माह का पहला प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat) 25 जुलाई दिन सोमवार को है. इस दिन सावन का सोम प्रदोष व्रत है और सावन का दूसरा सोमवार व्रत (Sawan Somvar Vrat) भी है. सावन सोम प्रदोष व्रत के दिन अत्यन्त ही शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन दो राजयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. इस वजह से यह दिन पूजा पाठ आदि की दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है. जो लोग पूरे वर्ष प्रदोष व्रत रखना चाहते हैं, वे इस दिन से इसका प्रारंभ कर सकते हैं क्योंकि यह दिन बेहद शुभ संयोगों में है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं सावन सोम प्रदोष पर बनने वाले तीन राजयोग और शुभ संयोग के बारे में.
सावन सोम प्रदोष व्रत 2022
सावन कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 25 जुलाई, सोमवार, शाम 04 बजकर 15 मिनट से
सावन कृष्ण त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 26 जुलाई, मंगलवार, शाम 06 बजकर 46 मिनट पर
शिव पूजा का प्रदोष मुहूर्त: शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 21 मिनट तक
हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत
भारतीय पञ्चांग के आधार पर देखा जाए तो एक साल में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को मिलाकर दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है क्योंकि इस तिथि के अधिपति देव भगवान शिव शंकर हैं.
सावन का प्रदोष व्रत है विशेष
वैसे तो पूरे वर्ष के प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन सावन माह के दो प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि ये शिव प्रिय मास में पड़ते हैं. सावन माह भोलेनाथ को प्रिय है और इस माह के प्रदोष व्रत को करने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है.
सावन के पहले प्रदोष पर 2 राजयोग
25 जुलाई सोमवार को सावन का पहला प्रदोष व्रत है. इस दिन शश और हंस राजयोग के साथ ही बुधादित्य, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस सावन सोम प्रदोष के दिन आप रावण विरचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और इससे धन वैभव की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, वे भक्तों की दरिद्रता दूर करती हैं और उनके यश और धन में वृद्धि करती हैं.
दान से बढ़ेगा शुभ फल
इस दिन आप दान-पुण्य करके और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करके प्राप्त होने वाले शुभ फल को कई गुना बढ़ा सकते हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार, सावन सोम प्रदोष व्रत पर बना यह शुभ संयोग अधिक शुभफलदाई सिद्ध होगा.