सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को खारिज कर दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि ECIR की तुलना FIR से नहीं की जा सकती. ECIR जांच एजेंसी ED का इंटरनल डॉक्यूमेंट है. ECIR की कॉपी आरोपी को देना भी जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त है. इसका मतलब यह हुआ कि छापेमारी, जब्ती , गिरफ्तारी, बयान दर्ज करना और जमानत की सख्त शर्ते पहले की ही तरह बरकरार रहेंगी.
सुप्रीम कोर्ट में आज प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शक्तियों, गिरफ्तार करने की प्रक्रिया, संपत्ति जब्त करने के तरीके को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही थी.
‘फेमा और PMLA के अधीन कितने मामले हुए दर्ज’
सरकार ने हाल ही में संसद में बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम यानी PMLA के तहत 3,985 मामले दर्ज किये गए हैं. लोकसभा में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी. सदस्य ने पिछले 10 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय के अधीन दर्ज मामलों का ब्यौरा मांगा था. चौधरी ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक जांच एजेंसी है जिसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार सौंपा गया है. उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2021-22 के दौरान पिछले 10 वर्षों में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत लगभग 24,893 मामले, जबकि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 3,985 मामले दर्ज किये गए.
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2022 तक प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए के तहत लगभग 5,422 मामले दर्ज किए हैं. उन्होंने कहा कि मामले दर्ज होने के बाद पीएमएलए के प्रावधानों के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की सम्पत्ति कुर्क की गई, 992 मामलों में अभियोग शिकायत दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरूप 869.31 करोड़ रुपये की जब्ती की गई और 23 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया.