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इराक के राजनीतिक घटनाक्रम का भारत पर क्या होगा असर, तेल सप्लाई प्रभावित होने का सता रहा है डर

Iraq Crisis: इराक के प्रभावशाली शिया मौलवी और नेता मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद देश भर में हिंसा भड़क गई. इस दौरान अल-सद्र के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई है, जिसमें 20 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है. इसके अलावा हिंसा में अब तक 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. इराक में इस बवाल के बाद कई बड़े देशों की चिंता बढ़ गई है. भारत भी इस राजनीतिक घटनाक्रम से प्रभावित हो सकता है.

नई दिल्ली. इराक के प्रभावशाली शिया मौलवी और नेता मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद देश भर में हिंसा भड़क गई. शिया धर्मगुरु के सैकड़ों समर्थक राष्ट्रपति भवन पहुंच गए और विरोध कर रहे हैं. इस दौरान अल-सद्र के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई है, जिसमें 20 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है. इसके अलावा हिंसा में अब तक 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. इराक में इस बवाल के बाद कई बड़े देशों की चिंता बढ़ गई है. भारत भी इस राजनीतिक घटनाक्रम से प्रभावित हो सकता है.

गौरतलब है कि भारत सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल इराक से आयात करता है. इसके साथ ही इराक के साथ भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारी भी है. इराक में फिलहाल कुल 15 से 17 हजार भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं. हालांकि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम का असर अभी किसी भारतीय पर नहीं हुआ है. इसके साथ ही भारतीय समुदाय के लोगों के लिए किसी तरह की एडवाइजरी अब तक भारत सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है. ज्यादातर भारतीय इराक के कुर्दिस्तान, बसरा, नजफ और कर्बला इलाके में हैं.

भारत समेत कई देशों का अधिकांश तेल इराक से आता है
भारत समेत कई देशों का अधिकांश तेल इराक से आता है, इस राजनीतिक घटनाक्रम के कारण तेल सप्लाई प्रभावित ना हो इसके लिए संकट को सुलझाने में कुछ बड़े देश लग गए हैं. इधर कुवैत ने अपने नागरिकों से इराक छोड़ने को कहा है, साथ ही नागरिकों को इराक की यात्रा टालने की हिदायत दी गई है. इसके अलावा ईरान ने भी इराक के लिए सभी उड़ानें रद्द की हैं.

पहले भी संन्यास की घोषणा कर चुके हैं मुक्तदा अल-सद्र 
बता दें कि अल-सद्र के समर्थक जुलाई में प्रतिद्वंद्वियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए थे और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है. यह पहली बार नहीं है जब अल-सद्र ने संन्यास की घोषणा की है. वह इससे पहले भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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