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हेल्थ

डायरिया डिहाइड्रेशन के खतरे: खुद को और परिवार को इससे सुरक्षित रखने के तरीकों के बारे में यहां जानें

मॉनसून के साथ ही बारिश की वजह से होने वाली बीमारियों के खतरे का भी डर बना रहता है. कई बार डायरिया डिहाइड्रेशन की परेशानी हो जाती है. डायरिया डिहाइड्रेशन की वजह से कुछ गंभीर खतरे भी हो सकते हैं. तो जानिए डायरिया होने पर क्या करना चाहिए.

नई दिल्ली. शायद ही भारत में कोई ऐसा शख्स हो जिसे मॉनसून से प्यार न हो. यह भी सच है कि मॉनसून के साथ ही बारिश की वजह से होने वाली बीमारियों के खतरे का भी डर बना रहता है. हममें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसे मॉनसून के दौरान कम से कम एक बार पेट दर्द, पेट खराब होने जैसी परेशानी न हो. कई बार यही परेशानी बढ़कर डायरिया डिहाइड्रेशन बन जाती है.

हममें से ज़्यादातर लोगों को डायरिया होने पर ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं होती है. इसकी वजह है कि शरीर इसे झेल सकता है और जब तक आप हाइड्रेशन यानी शरीर के लिए ज़रूरी पानी की मात्रा ले रहे हैं, घबराने की ज़रूरत भी नहीं है. आम तौर पर डायरिया की वजह से कोई लंबी बीमारी नहीं होती है.

हालांकि, ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है उन्हें इसकी वजह से गंभीर परेशानी भी हो सकती है. जैसे कि बुजुर्ग, ऐसे लोग जिन्हें कोई गंभीर बीमारी हो या बहुत छोटे बच्चे. डायरिया डिहाइड्रेशन की वजह से कुछ गंभीर खतरे भी हो सकते हैं.

हर साल, भारत में 5 साल से कम उम्र के 1 लाख से ज़्यादा बच्चों की मौत डायरिया डिहाइड्रेशन की वजह से होती है. यह एक बहुत चिंता की बात है, क्योंकि डायरिया से बचाव किया जा सकता है. आपके पास सिर्फ़ इस बीमारी से लड़ने के लिए सही जानकारी होनी चाहिए. एक छोटा सा संकेत हम बताते हैं कि डायरिया से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना काफ़ी नहीं है. यह भ्रम है कि पर्याप्त पानी पीते रहने से यह बीमारी नहीं होगी.

Network18 और Electral पेश करते हैं हाइड्रेशन फ़ॉर हेल्थ कैंपेन. यह मुहिम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमारे शरीर के लिए ज़रूरी हाइड्रेशन (सही मात्रा में पानी), हाइड्रेशन से जुड़ी भ्रामक जानकारी, कुछ आम गलतियों के बारे में जागरूक करने को लेकर है. साथ ही, इस मुहिम के ज़रिए हम लोगों को बताना चाहते हैं कि डायरिया होने पर क्या करना चाहिए.

पैनल डिस्कशन में, Network18 की ओर से मुग्धा कालरा बातचीत कर रही हैं डॉक्टर वीरेंद्र मित्तल (कंसल्टिंग पीडियाट्रिशन, पीडियाट्रिक्स और नियोनाटोलॉजिस्ट), जयपुर, डॉक्टर सुरेंद्र सिंह बिष्ट, एमडी (पीडियाट्रिक्स), डीएनबी (पीडियाट्रिक्स), फ़ेलो नियोनाटोलॉजिस्ट, एम्स दिल्ली और डॉक्टर अमित अधिकारी- एमबीबीएस, एमजी (पीडियाट्रिक्स), सीसीआईपी पीजीपीएन (बॉस्टन यूनिवर्सिटी), चाइल्ड स्पेशलिस्ट एंड कंसल्टेंट नियोनाटोलॉजिस्ट, कोलकाता. पैनल में डायरिया डिहाइड्रेशन, इसके कारण, इससे बचने के उपाय और इसके लिए कौन से कदम उठाने ज़रूरी हैं, इस पर चर्चा की गई.

बीमारी के कारणों को समझना
डॉक्टर बिष्ट का विश्लेषण है कि किसी भी तरह के संक्रमण के लिए मुख्य तौर पर तीन स्थितियां ज़िम्मेदार हैं. एक एजेंट (डायरिया किसी बैक्टीरिया या वायरल की वजह से हो सकता है), कोई होस्ट (संक्रमण फैलाने वाले किसी तत्व से) या फिर पर्यावरण (इंफ़ेक्शन फैलने की किसी परिस्थिति की वजह से). भारत में, जहां जनसंख्या बहुत ज़्यादा है और साफ-सफाई का संकट है, बहुत कम लोगों तक पीने का साफ पानी पहुंच रहा है. इन परिस्थितियों में डायरिया के संक्रमण का खतरा बहुत ज़्यादा होता है.

डॉक्टर अधिकारी ने एक खास पहलू की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि डायरिया को रोका जा सकता है. इस बीमारी का इलाज़ सामान्य तरीकों से हो सकता है. इसके लिए ज़रूरी है कि पीड़ित बच्चे या वयस्क शरीर में रोज़मर्रा की ज़रूरत से ज़्यादा पानी और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन यानी कि ओआरएस का सेवन करें.

यह समझना होगा कि किस पर असर डालता है
डॉक्टर बिष्ट ने इस बारे में बताया कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के लिए डायरिया बड़ी वजह है. बड़ी उम्र के लोगों के लिए भी इसका खतरा बहुत ज़्यादा है. ऐसे लोग जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहें हों या फिर कुपोषण के शिकार हों या पेट की ही किसी गंभीर बीमारी या लिवर संक्रमण से पीड़ित हों, तो उनके लिए डायरिया खतरनाक साबित हो सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी डायरिया का खतरा बना रहता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी खतरनाक है, क्योंकि इससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा है.

डॉक्टर अधिकारी यहां एक खास बात का ज़िक्र करते हैं कि ऐसे लोग जो किसी भी तरह से कुपोषण का शिकार हैं या जो लाइलाज़ बीमारी जैसे कि एड्स से पीड़ित हों, कैंसर के मरीज़ हों उनके लिए डिहाइड्रेशन और वह भी डायरिया की वजह से काफी गंभीर साबित हो सकता है.

डिहाइड्रेशन को समझना और ज़रूरी कदम उठाना
तीनों ही डॉक्टरों ने डायरिया के लिए कुछ आम लक्षणों की ओर संकेत किया है: थकान और आलस्य महसूस करना, प्यास लगना, पेशाब कम होना या बिल्कुल नहीं, आंखों का सूजना, मतली जैसा महसूस करना, सिर में दर्द होना, डिहाइड्रेशन अगर ज़्यादा गंभीर हो जाए, तो अचेत होने की स्थिति भी आ जाती है और गंभीर खतरे जैसे के शरीर के अंगो का काम करना बंद कर देना और आकस्मिक मौत भी हो सकती है.

हालांकि, डॉक्टर बिष्ट ने कुछ चीजों का खास तौर पर ज़िक्र किया है. हर डायरिया के केस में डॉक्टर की ज़रूरत नहीं होती है. जब तक देखभाल करने वाले मरीज़ को ज़रूरत के मुताबिक तरल पदार्ध दे सकते हैं, तब तक डॉक्टर की ज़रूरत नहीं होती है. अगर शरीर तरल पदार्ध भी नहीं ले पाए, तो चिंता की बात है. अगर मरीज मतली करना भी शुरू कर दे और शरीर में पानी भी नहीं ठहर पा रहा हो, तो ऐसी स्थिति में मरीज़ को तुरंत अस्पताल लेकर जाना चाहिए. डॉक्टर मरीज़ की हालत का मुआयना करने के बाद शरीर में तरल पदार्ध पहुंचाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं.

डॉक्टर मित्तल ने डायरिया के लिए 4 चरणों में ट्रीटमेंट को बांटा है. यह डायरिया की गंभीरता के आधार पर है:
प्लान A: अगर मरीज़ को दस्त आ रहे हों, लेकिन डिहाइड्रेशन ज़्यादा गंभीर न हो. तो घर पर तरल पदार्ध और नमक के इस्तेमाल के ज़रिए इसे रोका जा सकता है. साथ ही ज़्यादा हाइड्रेशन वाली खाने की चीज़ों को आहार में शामिल करना चाहिए.
प्लान B: जब आप डिहाइड्रेशन के संकेत नोटिस करने लगें, तो मरीज़ को ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन का घोल पीने के लिए दें और बारीकी से मरीज़ की स्थिति पर नज़र बनाए रखें.
प्लान C: अगर डिहाइड्रेशन ज़्यादा बिगड़ने लगे, तो हर 4 घंटे पर शरीर के प्रति किग्रा. वज़न के अनुसार 70एमएल ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन का घोल पीने के लिए दें. यह डिहाइड्रेशन को नियंत्रित करता है और मरीज़ के शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए ज़रूरी ताकत भी देता है.
प्लान D: अगर इन 3 उपायों के बाद भी डिहाइड्रेशन में सुधार नहीं दिख रहा तो तत्काल मरीज़ को अस्पताल लेकर जाएं.

निष्कर्ष
तीनों ही डॉक्टर के मुताबिक, पहली लाइन के सुरक्षा उपाय डब्ल्यूएचओ ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (डब्ल्यूएचओ ओआरएस) के ज़रिए हो सकते हैं. डॉक्टर अधिकारी ने एक और पहलू का ज़िक्र किया है कि ज़्यादातर लोग शुरुआती स्तर पर जो गलती करते हैं, वह पर्याप्त मात्रा में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन नहीं लेते हैं. डॉक्टर मित्तल ने एक और बात पर ज़ोर दिया कि ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन डोज़ तैयार करने में सही मात्रा का ध्यान नहीं रखा जाता है.

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