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‘रूस से भारत कारोबार कर सकता है तो हम गुलाम देश…’- इमरान खान का फिर छलका दर्द

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इमरान खान ने दूसरे देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम अमेरिका के साथ सम्मान के आधार पर संबंध चाहते हैं और खुदा की मर्जी हुई तो वह होगा. भारत रूस के साथ व्यापार कर रहा है, चीन अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, तो फिर हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते, हम किसी का चेला बनकर उसके आदेशों का पालन क्यों करें? मुझे दोस्ती चाहिए गुलामी नहीं.’

नई दिल्ली. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने रुख में बदलाव करते हुए पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को विस्तार देने के मुद्दे पर अप्रत्यक्ष रूप से ही अपना समर्थन देते दिखे. उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दा आम चुनाव तक टलना चाहिए.’

इमरान खान ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में दूसरे देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम अमेरिका के साथ सम्मान के आधार पर संबंध चाहते हैं और खुदा की मर्जी हुई तो वह होगा. भारत रूस के साथ व्यापार कर रहा है, चीन अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, तो फिर हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते, हम किसी का चेला बनकर उसके आदेशों का पालन क्यों करें? मुझे दोस्ती चाहिए गुलामी नहीं.’

देश की स्थिरता के लिए चुनाव कराना जरूरी
खान ने कहा, ‘देश की स्थिरता के लिए पहला विकल्प है कि जल्द से जल्द चुनाव कराया जाए और चुनाव के बाद जो सरकार आए, वह सेना प्रमुख की नियुक्ति करे.’ जब खान से पूछा गया कि क्या चुनाव तक जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने अभी तक इसके बारे में विस्तार से नहीं सोचा है.’

खान ने कहा कि सेना प्रमुख का पद महत्वपूर्ण है और योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए. खान ने कहा, ‘न तो आसिफ जरदारी और न ही नवाज शरीफ योग्यता के आधार पर यह फैसला लेने के काबिल हैं.’

अपनी सरकार गिराने पर बोले इमरान
इमरान खान ने कहा कि उनकी अच्छी सरकार गिराने वाले लोगों को आज खुद से पूछना चाहिए कि क्या वे पाकिस्तान के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने कहा, ‘या तो इन लोगों को बहुत बुद्धिमान होना चाहिए था या फिर देश को सुधारने का उनका ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए था… अगर सरकार पारदर्शी चुनाव के लिए तैयार है, तो मैं उनसे बात कर सकता हूं.’

खान ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता के बिना आर्थिक स्थिरता नहीं आ सकती, जो केवल चुनावों से ही आ सकती है. उन्होंने कहा, ‘अगर पाकिस्तान लड़खड़ाता है, तो और समस्याएं पैदा होंगी. मुझे डर है कि इससे बहुत बड़ा नुकसान होगा और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा भी प्रभावित होगी.’

उन्होंने कहा, ‘आज पाकिस्तानी बॉन्ड 50% छूट पर पहुंच गए हैं और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) प्रोग्राम के बावजूद देश में रिकॉर्ड महंगाई है और यह डिफ़ॉल्ट की तरफ आगे बढ़ रहा है. देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए चुनाव कराना सबसे अच्छा विकल्प है.’

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