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SEBI ने IL&FS ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क समेत इन 3 लोगों पर लगाई 1.75 करोड़ रुपए की पेनाल्टी, क्या है पूरा मामला

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SEBI Action: सेबी ने रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आने पर एक कंपनी समेत 3 लोगों पर 1.75 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. यहां जानिए कि पूरा मामला क्या है.

SEBI Action: शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी यानी कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने IL&FS Transportation Networks के अलावा और 3 लोगों पर पेनाल्टी लगाई है. सेबी ने इन सभी पर लगभग 1.75 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है. सेबी का कहना है कि इस कंपनी और 3 लोगों ने अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स के कुछ प्रावधानों और नियमों का उल्लंघन किया है. शिकायत मिलने के बाद सेबी ने इस मामले की जांच करने का फैसला किया, जिसके बाद सेबी को इस मामले के बारे में पता चला और सेबी ने कुल 1.75 करोड़ रुपए का जुर्माना IL&FS ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क समेत इन 3 लोगों पर लगाया है. 

क्या है पूरा मामला

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पाया कि वित्त वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में कंपनी की ओर से उधार लिए गए कर्ज के तौर पर कुछ संबंधित पार्टी ट्रांजैक्शन हुए, जो कथित तौर पर मानदंडों का उल्लंघन है. 

IL&FS Transportation Networks (नोटिसी 1) पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है और दूसरे 3 लोगों पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इन तीन लोगों में रामचंद करुणाकरन (नोटिसी 2), दिलीप भाटिया (नोटिसी 3) और कृष्णा गर्ग (नोटिसी 4) शामिल हैं. 

सेबी ने जारी किया ये आदेश 

मामले की जांच पड़ताल करने के बाद सेबी ने 42 पेज का आदेश जारी किया. इस 42 पेज के आदेश में सेबी ने कहा कि जिन लोगों पर जुर्माना लगाया गया है, उन्होंने LODR यानी कि लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) के प्रावधान का उल्लंघन किया है. इसके अलावा इन लोगों ने यूनिफार्म लिस्टिंग एग्रीमेंट, इक्विटी लिस्टिंग एग्रीमेंट और अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स का भी उल्लंघन किया है. 

सेबी के आदेश के मुताबिक, करुणाकरण, भाटिया और गर्ग कंपनी के आंतरिक प्रक्रिया पर पूरी तरह से निर्भर थे और इन्होंने अनुपालन प्रमाण पत्रों पर हस्ताक्षर करने या लागू कानूनों के साथ पुष्टि सुनिश्चित करने से पहले खुद के फैसले का इस्तेमाल नहीं किया. 

नियमों का उल्लंघन करने की वजह से लगाई पेनाल्टी

सेबी ने आगे कहा कि ऑडिटर्स उन्हें रिपोर्ट सबमिट करते थे लेकिन इसके बाद ये उनकी जिम्मेदारी है कि वो ये सुनिश्चित करें कि रिपोर्ट्स रेगुलेटरी प्रॉविजन पर लागू होती हैं या नहीं और आंखें बंद करके मिली रिपोर्ट्स पर निर्भर ना रहे. 

सेबी ने आगे कहा कि रामचंद करुणाकरन ने इस बात को माना कि वो पूरी तरह से कम्प्लायंस सर्टिफिकेट इश्यू करने के लिए पूरी तरह से ऐसी रिपोर्ट्स पर निर्भर थे और सर्टिफिकेट जारी करने से पहले खुद का फैसला नहीं लिया. 

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