केंद्र सरकार मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों पर रोक लगाने के लिए हजारों मुखौटा कंपनियों पर ताला लगाने की तैयारी कर रही है. कंपनी रजिस्ट्रार ने करीब 40 हजार कंपनियों की सूची बनाई है, जिनका पंजीकरण जल्द ही रद्द कर दिया जाएगा. हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया है कि इन कंपनियों पर ताला लगाने के बाद भी इनसे बकाया वसूलने में कोताही नहीं की जाएगी.
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नई दिल्ली. केंद्र सरकार मुखौटा कंपनियों पर लगाम कसने के लिए सख्त कदम उठाने के मूड में है. कॉरपोरेट मंत्रालय ने 40 हजार ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की योजना बनाई है. इसमें से सबसे ज्यादा कंपनियां दिल्ली और हरियाणा में पंजीकृत हैं. सरकार समय-समय पर इन मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है. बीते साल भी कंपनी रजिस्ट्रार ने हजारों कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया था.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, कॉरपोरेट मंत्रालय ऐसी कंपनियों पर ताला लगाने की तैयारी कर रहा है जिनका कारोबार छह महीने से निष्क्रिय रहा है. मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इन मुखौटा कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने का अंदेशा है. इस अपराध से जुड़े लोग मुखौटा कंपनियों में पैसा लगाकर उसे दूसरे देशों तक पहुंचाते हैं. इसमें काली कमाई का जमकर इस्तेमाल होता है.
सबसे ज्यादा कहां हैं मुखौटा कंपनियां
कंपनी ऑफ रजिस्टार (RoC) ने रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने वाली 40 हजार से ज्यादा कंपनियों की पहचान की है. इसमें से 7,500 कंपनियां सिर्फ दिल्ली और हरियाणा में ही पाई गई हैं. एक अधिकारी ने बताया कि अमूमन आरओसी उन कंपनियों पर ताला लगाने की तैयारी करता है तो करीब दो साल से कोई कामकाज नहीं कर रही हैं और न ही अपना लेखाजोखा दे रही हैं. लेकिन, इस केस में 6 महीने से निष्क्रिय कंपनियों को भी चुना गया है.
नोटबंदी के बाद तेज हुई कार्रवाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने साल 2016 में नोटबंदी लागू करने के बाद मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई तेज की है. कॉरपोरेट मंत्रालय के अनुसार, देश में करीब 23 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हैं जिसमें से अभी करीब 14 लाख कंपनियां ही कामकाज कर रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि अब तक करीब 8 लाख कंपनियां अपना कारोबार बंद कर चुकी हैं.
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बंद होने के बाद भी वसूला जाएगा बकाया
सरकार भले ही इन मुखौटा कंपनियों को बंद करने की तैयारी में है, लेकिन इनसे होने वाली वसूली को बंद नहीं किया जाएगा. मामले से जुडे़ अधिकारी ने बताया कि कंपनियों पर ताला लगाने के बाद भी इनके निदेशकों या कंपनी पर बकाए को खत्म नहीं किया जाएगा और इसकी वसूली की जाएगी. इसके अलावा अगर कंपनी की ओर से कोई लेनदेन हुआ है तो उसके निदेशक और कंपनी के प्रतिनिधि से ही इसका जवाब भी मांगा जाएगा.