भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. कई युवा भी इस बीमारी का तेजी से शिकार हो रहे हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह लोगों की गलत लाइफस्टाइल और खानपान है. डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार पर खास ध्यान रखना पड़ता है. इस बीमारी में मरीजों को लो कॉर्ब और हाई प्रोटीन डाइट लेने की सलाह दी जाती है ताकि उनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहे
डायबिटीज को मैनेज करने में प्रोटीन अहम भूमिका निभाता है. ये शरीर में पाया जाने वाला एक आवश्यक पोषक तत्व है. ये हमें बहुत सारे खाद्य पदार्थों से भी मिलता है. हमारी मांसपेशियां प्रोटीन से बनती हैं और डायबिटीज में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है इसलिए अगर आप डाइबिटिक हैं तो आपको प्रोटीन की अच्छी मात्रा वाला संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स के साथ-साथ फिटनेस एक्सपर्ट्स भी प्रोटीन रिच फूड को डाइबिटिक पेशंट की डाइट के लिए जरूरी मानते हैं.
डायबिटीज में प्रोटीन रिच फूड्स लेना क्यों जरूरी है
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) ने कुछ समय पहले अपनी एक स्टडी में बताया था कि टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए व्यक्ति को अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए. अगर किसी को हाल में डाइबिटीज डायग्नॉस हुआ है तो इससे उसे काफी फायदा
मिल सकता है.
इस रिसर्च में प्रोटीन का ब्लड शुगर लेवल और HBA1c (खून में शुगर लेवल जांच की प्रक्रिया) कम करने के बीच संबंध पाया गया. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोटीन ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाए बिना इंसुलिन की प्रतिक्रिया को बढ़ाता है. साथ ही ये खाना खाने के बाद व्यक्ति के शरीर में बढ़ने वाले ब्लड शुगर लेवल को भी रोकता है.
डायबिटीज के मरीजों में इम्युनिटी बढ़ाता है प्रोटीन
प्रोटीन की अच्छी मात्रा डाइबिटीज के रोगियों की इम्युनिटी मजबूत करती है जो अक्सर इस बीमारी की वजह से कमजोर हो जाती है. इसके अलावा प्रोटीन लंबे समय तक पेट भरा रहने का अनुभव कराता है और ये भूख पर काबू करने में भी मददगार है. इससे न सिर्फ वजन काबू में रहता है बल्कि खून में शुगर का लेवल भी कंट्रोल होता है.
हालांकि यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि प्रोटीन डाइबिटीज कंट्रोल रखने में मदद कर सकता है लेकिन ये रिवर्स नहीं कर सकता.
इस समय ऐसी कई खबरें हमारे सामने आती हैं जिनमें अलग-अलग डाइट से डाइबिटीज रिवर्स होने का दावा किया जाता है. लेकिन इसके लिए प्रोटीन को जिम्मेदार बताना सही नहीं है. अगर आपको प्रोटीन से फायदा लेना है तो इसके लिए उसका सही प्रकार और सही तरह से इस्तेमाल जरूरी है.
साथ ही डाइबिटीज के मरीजों के लिए सही मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना चाहिए. उन्हें लोट फैट वाले मांस और लो या लेस फैट वाले डेयरी उत्पाद का सेवन करना चाहिए. शाकाहारी लोग टोफू, बीन्स, पनीर, नट्स का सेवन कर सकते हैं. अंडे का सफेद भाग प्रोटीन का एक प्राकृतिक और बढ़िया स्रोत है जिसे डाइबिटिक मरीजों के आहार में शामिल किया जा सकता है.
क्या हो सकती है आदर्श मात्रा
हेल्थ के लिए कोई भी चीज अच्छी हो लेकिन अगर आप उसका जरूरत से ज्यादा सेवन करते हैं तो वो आपको नुकसान ही पहुंचाएगी. खासकर अगर डाइबिटीज के मरीज को किडनी से जुड़ी कोई बीमारी है तो उन्हें प्रोटीन के सेवन पर कंट्रोल करना होगा क्योंकि अत्यधिक प्रोटीन किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. आपको हर स्थिति में अपने पूरे शरीर की जांच-परख के बाद ही प्रोटीन को बढ़ाना-घटाना चाहिए.
उदाहरण के लिए प्रति किलो वजन के हिसाब से व्यक्ति को 0.8 से 1.0 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. अचानक और असामान्य रूप से हाई प्रोटीन को शरीर के लिए पचाना मुश्किल हो सकता है और पेट में दर्द, बेचैनी और किडनी पर दबाव पड़ सकता है.
देश की जानी-मानी हेल्थ एंड वेलनेस कंपनी वेलजी इंस्टीट्यूट की सीईओ और संस्थापक डाइटीशियन प्रीति राव ने बताया, ”प्रोटीन शरीर की सभी कोशिकाओं के बनने और काम करने के लिए बेहद जरूरी है. टाइप 1 और टाइप 2 डाइबिटिक मरीजों को प्रोटीन की अच्छी खुराक लेनी चाहिए. लेकिन उसकी मात्रा और प्रकार का भी संतुलन बनाना जरूरी है. किसी भी चीज के सेवन से पहले ये ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कितना प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट है. डाइबिटिक मरीजों को कम से कम कार्ब्स, स्टार्च वाला प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए.”
”उदाहरण के लिए कई रिसर्च में रेड मीट और टाइप 2 डाइबिटीज के बीच संबंध पाया गया. अगर डायबिटीज मरीज प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन करते हैं तो इस बीमारी के बढ़ने की संभावना काफी अधिक होती है. साथ ही इसकी वजह से 40 फीसदी डायबिटीज मरीज किडनी डैमेज का भी शिकार हो सकते हैं.”
क्या करें और क्या नहीं
प्लांट्स और जानवर प्रोटीन के दो बड़े स्रोत हैं. आप इसे अलग-अलग प्रकार के प्लांट्स फूड और पशुओं के मांस से हासिल कर सकते हैं. लेकिन डायबिटीज में आपको लो फैट वाले मांस का सेवन करना चाहिए. साथ ही मांस को तेल में पकाने की बजाय भूनकर या उबालकर खाने की कोशिश करें. रेड मीट की बजाय चिकन, मछली, राजमा, मूंग, सोयाबीन और लो फैट मीट को चुनें.
अपने खाने में बीन्स, नट्स और टोफू को शामिल करें. इससे आपको फाइबर और पोषक तत्व दोनों मिलेंगे जो आपको मांस-मछली में नहीं मिल सकते. इसके साथ ही बिना फ्लेवर और चीनी वाले दही, दूध और पनीर का सेवन करें. इनसे आपको प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन्स और मिनरल मिलेंगे और आपके अंदर शुगर भी नहीं जाएगी.
इन खाद्य पदार्थों से बनाएं दूरी
प्रॉसेस्ड और फ्रोजन मीट ना खाएं. ये कैलोरी और सैचुरेटेड फैट्स से भरे होते हैं जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकते हैं. फुल फैट वाले डेयरी प्रॉडक्ट्स का भी सेवन ना करें क्योंकि इससे आपका डायबिटीज बिगड़ सकता है.