महाराष्ट्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है. इसके मुताबिक जिन लड़कियों ने दूसरे धर्म में विवाह किए हैं उनके परिवारों से संपर्क किया जाएगा.
राज्य सरकार के महिला और बाल विकास विभाग के मंत्री मगंल प्रभात लोढा ने इसे लेकर 13 सदस्यीय समिति का गठन किया है.
हालांकि इससे पहले एक सर्कुलर जारी कर अंतरजातीय विवाह को भी इसमें शामिल किया था लेकिन बाद में उसे केवल दूसरे धर्म में विवाह तक सीमित कर दिया गया.
राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद जहां विपक्ष ने सरकार पर ‘नफ़रत की राजनीति’ करने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है, वहीं विश्लेषकों का कहना है कि सरकार की नज़र अगामी नगर निगम चुनाव पर है और वो ‘एक विचारधारा’ को फ़ैलाने की कोशिश कर रही है.
बीबीसी से बातचीत में राज्य बीजेपी के प्रवक्ता और विधायक अतुल भटखलकर ने कहा कि श्रद्धा वालकर जैसे कई मामले सामने आने के बाद इस समिति का गठन किया गया है.
वे कहते हैं, “श्रद्धा वालकर के मामले में उनके पिता ने आरोप लगाए थे कि उसके घर छोड़ने के बाद आफ़ताब के घरवालों न उसे स्वीकार नहीं किया और न ही श्रद्धा को परिवारवालों से मिलने दिया जाता था. राज्य में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं इसलिए ऐसी लड़कियों की सुरक्षा के लिए हमने ये क़दम उठाया है.”
बीजेपी प्रवक्ता कहते हैं, “जिन लड़कियों को शादी के बाद परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा वो ज़िला मजिस्ट्रेट से शिकायत दर्ज कर सकती हैं और इस समिति का लक्ष्य ऐसे मामलों में काउंसलिंग करवाना भी है.”
समिति के गठन पर उठे सवाल
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का कहना कि ये सर्कुलर जारी करने से पहले सरकार ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है.
इस पर सवाल उठाते हुए वो कहते हैं, “महाराष्ट्र में कितने अंतरधार्मिक विवाह हुए हैं, कितनी लड़कियां तकलीफ़ में हैं, कितनी शिकायतें इनके सामने आईं है… ऐसा कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. श्रद्धा वालकर मामले में एक मुसलमान लड़का शामिल था और उसका राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है लेकिन वो लिवइन रिलेशनशिप में थीं. उसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है.”
वो कहते हैं, “श्रद्धा वालकर मामले को लेकर समाज में नफ़रत फैलाने की कोशिश हो रही है. श्रद्धा वालकर मामले में एक मुसलमान लड़के पर हिंदू लड़की की हत्या का आरोप लगा है.”
वो आरोप लगाते हैं कि बीजेपी गठबंधन वाली सरकार के पास विकास का मुद्दे नहीं है इसलिए वो ऐसे मुद्दे उठा रही है और ‘विरोधाभास देखिए कि एक तरफ़ सरकार ऐसे विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए ढाई लाख रुपये दे रही है और दूसरी तरफ़ उसे रोकने की कोशिश की जा रही है.’
महाराष्ट्र सरकार ने साल 2019 में ऐसे विवाह करने वालो को ढाई लाख रुपये प्रोत्साहन राशि देने की बात कही थी लेकिन इसके पीछे शर्त ये भी थी कि वर या वधू अनुसूचित जाति से होने चाहिए और डॉ बाबासाहेब अंबेडकर समता प्रतिष्ठान के अंतर्गत ये सामूहिक विवाह होने चाहिए.
हालांकि, अतुल भटखलकर का कहना है, “ये किसी मज़हब के ख़िलाफ़ नहीं है. बल्कि ऐसी शादी में अगर किसी कि मंशा में कोई खोट नहीं है तो उन्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है. ये सर्कुलर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जारी किया गया है.”
धर्म परिवर्तन को लेकर क़ानून
अतुल भटखलकर कहते हैं कि वो लव जिहाद और धर्म परिवर्तन को लेकर एक निजी बिल पेश कर चुके हैं और इस बारे में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी बात कर चुके हैं.
हाल ही में राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि लव जिहाद को लेकर बिल लाने पर अभी कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है हालांकि सरकार इसे लेकर आकलन कर रही हैं और ये देख रही है कि अलग-अलग राज्यों ने इस पर क्या क़ानून बनाए है.
दरअसल उनसे पत्रकारों ने सवाल पूछा था कि क्या विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार ऐसा कोई बिल लाने वाली है?
इसके पहले बीजेपी के नेता नीतेश राणे ने राज्य में धर्म परिवर्तन या जिहाद के ख़िलाफ़ एक सख़्त क़ानून लाने की ज़रूरत बताई थी.
उनका कहना था, “महाराष्ट्र के हर कोने में हिंदू लड़की को निशाना बनाया जा रहा है…… कुछ विशेष समुदाय के ज़रिए. मैं खुश हूं कि सरकार धर्म परिवर्तन और जिहाद के ख़िलाफ़ क़ानून लाने पर विचार क
पीछे की राजनीति
भारत के नौ राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में धर्म परिवर्तन को लेकर क़ानून है.
लेकिन क्या इन राज्यों में ऐसा कोई शोध किया गया है या उनके पास कोई आंकड़ा है जिससे ये पता चले कि धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ रहे हैं?
अतुल भटखलकर इसका जवाब देते हैं. वो कहते हैं, “महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में लव जिहाद के मामले सामने आ रहे हैं. विपक्ष और लोग आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि बीजेपी इसे रंग देने की कोशिश कर रही है लेकिन मैं ये याद दिलाना चाहता हूं कि लव जिहाद समाज में है, ये केवल बीजेपी नहीं बोल रही बल्कि केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ने भी कहा था कि लव जिहाद पनप रहा है. मेरे पास रोज़ ऐसी शिकायतें आती है इसलिए बिल आना चाहिए.”
साथ ही भटखलकर कहते हैं लिव-इन रिलेशनशिप में ऐसे मामले आएंगे तो सरकार ऐसे मामलों में भी दखल देगी.
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई कहते हैं कि श्रद्धा वालकर से पहले ऐसे कई मामले हुए जहां हिंदू लड़के ने मुसलमान लड़की से शादी की और उन पर अत्याचार किए, लेकिन सरकार इस बारे में बात नहीं करती. सरकार की कोशिश धर्म परिवर्तन को लेकर बिल लाने की है.
वो ये भी कहते हैं, “जल्द ही ठाणे, मुंबई, नवी मुंबई और नासिक समेत 14 इलाकों में नगर निगम के चुनाव होने हैं. इस सरकार को सत्ता में आए बस चार महीने ही हुए हैं और उनके पास कुछ कहने को नहीं है तो इसलिए इन मुद्दों को उठाया जा रहा है.”
उनके अनुसार, “शिवसेना (उद्धव ठाकरे) अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी का दामन थामे है. ऐसे में वो स्वंय को धर्मनिरपेक्ष पार्टी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है तो ऐसे में इन मुद्दों को उठाकर शिवसेना ( उद्धव ठाकरे) को घेरने की तैयारी हो रही है और देखा जा रहा है कि उसके बीजेपी से अलग होने के बाद हिंदू और मुसलमान के मुद्दे उठाए जा रहे हैं.”
अधिकारों का हनन
वकील असीम सरोदे कहते हैं इस समिति को बनाना ही परिवारों के मूलभूत अधिकारों का हनन है.
असीम सरोदे मानवाधिकार के मुद्दे उठाते रहते हैं. वे कहते हैं, “स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत जिन परिवारों ने ख़ुद को रजिस्टर करवाया है, ये समिति के सदस्य उसकी सूची लेंगे और फिर लोगों के पते पर जाएंगे. वे जांच करेंगे कि लड़की को कोई तकलीफ़ तो नहीं है. ये सीधे तौर पर उनकी निजता के अधिकार हनन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीने के अधिकार का भी हनन है.”
साथ ही वे सवाल उठाते हैं कि “अगर कोई लड़की परेशान है तो पुलिस के पास सीधे जा सकती हैं, ज़िला मजिस्ट्रेट के पास कौन जाता है?”
वे कहते हैं, “ये विभाजनकारी राजनीति करने की कोशिश कर रही है. साल 2024 में राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव दोनों होने हैं, ऐसे में इस फ़ैसले को चुनाव से जोड़कर देखना ग़लत है क्योंकि ये समाज की दिक़्कत है और उसे हम दूर करना चाहते हैं.”
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का कहना है कि ये समिति बनाकर सीधे तौर पर महाराष्ट्र में धर्म परिवर्तन क़ानून लाने की भूमिका तैयार की जा रही है. उनके अनुसार, “सभी बीजेपी शासित राज्यों में एंटी कन्वर्ज़न क़ानून लागू है.”
वो कहती हैं, “महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां अस्सी के दशक से समानता लाने के लिए अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच शादी को बढ़ावा भी दिया जाता था. ये एक ऐसा राज्य रहा है जो प्रगतिशील रहा है और यहाँ कई समाज सुधारक भी हुए हैं हालांकि बीजेपी जिन राज्यों में सत्ता में है वहां ये क़ानून तुरंत लेकर आ गई लेकिन यहां पहले समिति का गठन किया गया है और ये ट्रायल बैलून की तरह है कि पहले जाकर परिवार और लड़कियों से पूछो और ज़मीन तैयार करो.”
“अगर किसी महिला को शादी में दिक़्क़त है तो केवल अलग-अलग धर्मों तक सीमित क्यों कर रहे हैं? ये लव जिहाद का मुद्दा बनाना चाहते हैं क्योंकि महिला को शादी में समस्या तो किसी भी समुदाय में हो सकती है.
वो कहती हैं कि गुजरात में हिमंत बिस्वा सरमा ने श्रद्धा वालकर का मुद्दा बनाया जो अजीब लगा था लेकिन वहां लोगों ने मुझ से कहा कि उन्हें इस बात का सुकून है कि गुजरात में ऐसा नहीं है और उनकी बेटियाँ सुरक्षित हैं. शायद वही चीज़ वो यहां भी प्रतिध्वनित करवाना चाहते हैं. ये समिति का गठन करके देखना चाहते हैं कि धर्म परिवर्तन क़ानून ला पाएंगे या नहीं.