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Income Tax : क्रेडिट कार्ड से कितना खर्च करें कि इनकम टैक्‍स की न पड़े नजर, आयकर विभाग ने खुद किया खुलासा

Credit Card

क्रेडिट के बढ़ते इस्‍तेमाल के साथ आयकर विभाग की भी इस पर नजर है. अगर आपने किसी वित्‍तीय वर्ष में क्रेडिट कार्ड से ज्‍यादा खरीदारी की तो इनकम टैक्‍स विभाग की नजर में आ सकते हैं. इस बारे में आयकर विभाग ने साफ निर्देश दे रखे हैं कि कोई व्‍यक्ति क्रेडिट कार्ड से कितना खर्च कर सकता है.

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नई दिल्‍ली. क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का इस्‍तेमाल तो सभी करते हैं. खासकर युवाओं के बीच यह काफी लोकप्रिय हो रहा. आपकी जेब में पैसे हैं या नहीं, खरीदारी पर इसका कोई असर नहीं पड़ता अगर क्रेडिट कार्ड लेकर चले हैं. कई बार लोग इससे खरीदारी करते समय यह ध्‍यान नहीं रख पाते कि आखिर कितना खर्चा हो गया और कितना करना चाहिए. आपके क्रेडिट कार्ड खर्च पर आयकर विभाग (Income Tax Department) की भी नजर रहती है.

रिजर्व बैंक के आंकड़ों पर नजर डालें तो नवंबर, 2022 में ई-कॉमर्स वेबसाइट पर क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने की संख्‍या में 3.7 गुना यानी करीब चार गुने की बढ़ोतरी हो चुकी है. इतना ही नहीं प्‍वाइंट ऑफ सेल (PoS) पर भी क्रेडिट कार्ड से खरीदारी डेबिट कार्ड की तुलना में 1.2 गुना बढ़ चुकी है. जाहिर है इससे खरीदारी करना उपभोक्‍ताओं को काफी आसान भी लगता है, लेकिन कई बार वे जरूरत से अधिक खर्चा कर जाते हैं और आयकर विभाग की नजर में आ जाते हैं.

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क्‍या है क्रेडिट कार्ड से खरीदारी का नियम
वैसे तो क्रेडिट कार्ड से खरीदारी को लेकर आयकर विभाग का कोई खास नियम नहीं है, लेकिन बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थानों से यह जरूर कहा गया है कि ज्‍यादा वैल्‍यू वाले ट्रांजेक्‍शन की रिपोर्ट इनकम टैक्‍स विभाग को दें. आयकर नियमों के तहत 10 लाख से ज्‍यादा के ट्रांजेक्‍शन की रिपोर्ट बैंकों को फॉर्म 61ए के जरिये देनी होती है. इतना ही नहीं किसी व्‍यक्ति के क्रेडिट कार्ड से खर्च की जानकारी भी बैंकों को फॉर्म 26ए के जरिये देनी होगी. अगर किसी क्रेडिट कार्ड धारक ने ज्‍यादा मूल्‍य वाला ट्रांजेक्‍शन किया है तो इसकी जानकारी देनी होगी.

कब आएगा इनकम टैक्‍स का नोटिस
आयकर विभाग ने यह भी बताया है कि कोई इंडीविजुअल कस्‍टमर कितने रुपये खर्च करेगा तब वह इनकम टैक्‍स की नजर में आ सकता है. आयकर विभाग के अनुसार, हर कोई ग्राहक हर महीने 1 लाख रुपये से ज्‍यादा का क्रेडिट कार्ड बिल जमा करता है तो उसे स्‍क्रूटनी का सामना करना पड़ सकता है. खासकर अगर कोई ग्राहक कैश में बिल जमा करता है तो उस पर आयकर विभाग की नजर टेढ़ी हो सकती है और नोटिस भी आ सकता है.

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हर साल बैंक देते हैं जानकारी
आयकर विभाग ने बैंकों, कंपनियों, रजिस्‍ट्रार और पोस्‍ट ऑफिस के लिए हर साल क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्‍शन की रिपोर्ट फॉर्म 61ए के जरिये देना अनिवार्य बना दिया है. इसमें वित्‍तीय लेनदेन की पूरी स्‍टेटमेंट रहती है. इतना ही नहीं टैक्‍सपेयर्स को भी 26एएस फॉर्म में अपने लेनदेन की जानकारी देनी होगी. इसमें क्रेडिट कार्ड से हुआ लेनदेन भी शामिल करना होगा.

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