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राजस्थान

Rajasthan Election: मिशन-2024 की तैयारी में भी जुटी कांग्रेस, इन सीटों पर कर रही फोकस

Jaipur News: इस साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ-साथ बड़े दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी अभी से कमर कस रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही मिशन-2024 के तहत एससी और एसटी बाहुल्य वाली सीटों पर फोकस किया है. कभी इस तबके के दम पर कांग्रेस की ताकत रहीं इनमें से कई सीटों पर पार्टी पुन: काबिज होने की रणनीति बना रही है, वहीं बीजेपी इस गढ़ को और सुरक्षित करने के जतन में है.

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जयपुर. इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में रिपीट होने के साथ ही कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव (General Election) में लगातार दो बार सूपड़ा-साफ की स्थिति को खत्म करना बड़ी चुनौती बनी हुई है. कांग्रेस (Congress) ने लोकसभा चुनाव की रणनीति के पहले चरण में दलित, आदिवासी सीटों पर फोकस किया है. इसके तहत राजस्थान (Rajasthan) की 7, मध्य प्रदेश की 10 और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की चार सीटों को लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन (LDM) में शामिल किया गया है.

कांग्रेस नेतृत्व ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन को देखते हुए 2019 के लोकसभा चुनावों में हारने वाली 121 सीटों में से पहले चरण में 50 आरक्षित सीटों को चुना है, जिनपर अभी से फोकस किया जाएगा.

परंपरागत वोट बैंक को साधना चाहती है पार्टी 
राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव जीतने और अशोक गहलोत के सरकार बना लेने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को सभी 25 सीटों पर हार झेलनी पड़ी थी. पार्टी हाईकमान का मानना है कि दलित-आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहे हैं. दो लोकसभा चुनावों में इन वोटर्स के दूर होने का खामियाजा पार्टी को हार के रूप में भुगतना पड़ा. पार्टी अब नई रणनीति के साथ इन सीटों पर वापसी की कोशिश में जुटी हुई है. इसी के तहत दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने 50 आरक्षित सीटों पर लीडर तैयार करने का कार्यक्रम करने की मंजूरी दे दी है.

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राजस्थान: लोकसभा सीटों का सूखा खत्म करेंगे
प्रदेश में दलित वर्ग से जुड़ी कुल सात लोकसभा सीटें हैं. इनमें अनुसूचित जाति की चार और अनुसूचित जनजाति की तीन सीट हैं. आरक्षित श्रीगंगानगर (एससी), बांसवाड़ा (एसटी), उदयपुर (एसटी), करौली-धौलपुर (एससी) व भरतपुर (एससी) सीट पर कांग्रेस ने लगातार दो चुनाव हारे हैं. परिसीमन के बाद 2009 में बीकानेर सीट एससी और दौसा एसटी के लिए आरक्षित हुई. तब से कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर जीत हासिल नहीं की है. अब नेतृत्व विकास मिशन के तहत कांग्रेस ने गंगानगर में मनोज सहारण, बीकानेर में संजीव कुमार सहारण में भरतपुर में पुष्पेंद्र मीणा, करौली-धौलपुर में नटवर सिंह, दौसा में सुनील झाझरिया, उदयपुर में विजय कुमार, बांसवाड़ा में मोहम्मद अयूब को एलडीएम की जिम्मेदारी दी है.

मध्य प्रदेश: भाजपा के गढ़ पर टिकी नजर
राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस का गढ़ रहीं कुछ एससी-एसटी की लोकसभा सीटों पर बीजेपी काबिज है. मध्य प्रदेश में अब हालात यह हैं कि एससी के लिए आरक्षित भिंड, टीकमगढ़ और एसटी के लिए आरक्षित खरगोन व बैतूल लोकसभा सीट बीजेपी के गढ़ हैं. यहां भाजपा ने 2014 से पहले लगातार कई चुनाव जीते हैं. जबकि एससी के लिए आरक्षित देवास, उज्जैन और एसटी की शहडोल, मांडला व रतलाम सीट पर 2014 तथा 2019 में लगातार जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने बैतूल में राजकुमार उपाध्याय, भिंड में स्वदेश शर्मा, टीकमगढ़ में संतोष तिवारी, शहडोल में अमित गुप्ता, मांडला में कविता कहर, रतलाम में मोहम्मद साजिद खान, धार में पंकज शर्मा, खरगोन में अजय कुमार, देवास में संजय यादव, उज्जैन में स्पैंसर लाल को एलडीएम की जिम्मेदारी दी है.

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छत्तीसगढ़: बीजेपी की काट को उतारे कद्दावर नेता
राजस्थान के साथ इस साल छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इसकी तैयारी के साथ-साथ पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुटी है. प्रदेश में एसटी के लिए आरक्षित सरगुजा, रायगढ़, काकेर और एसटी के लिए आरक्षित जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र बीजेपी के गढ़ बन चुके हैं. कांग्रेस को मोदी लहर से पहले भी हार का सामना करना पड़ा है. बस्तर ऐसी अकेली आरक्षित सीट है, जिस पर कांग्रेस ने 2019 में परचम फहराया था. अब कांग्रेस ने सरगुजा के लिए अनुपम फ्लिप, रायगढ़ में अमित शर्मा, कांकेर में नरेश ठाकुर और जांजगीर चांपा में चोलेश्वर चंद्राकर को एलडीएम की जिम्मेदारी दी है.

सीटें जीतने के लिए कांग्रेस बनाएगी खास टीम
पार्टी मिशन ‘संसद सीट प्रभारी’ में एक खास संरचना को बनाएगी, जिसमें हर एक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कॉर्डिनेटर को चुने जाएंगे. इनका काम दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच समर्थन जुटाने में सक्षम लोगों की पहचान करना होगा. जो इस खास वर्ग के मतदाताओं में घर-घर पैठ बनाएंगे. नेतृत्व मिशन की देखरेख राहुल गांधी के प्रमुख के राजू कर रहे हैं. एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल द्वारा सभी संबंधित राज्य इकाइयों के साथ मिशन की डिटेल्स और दिशानिर्देश जारी किए हैं.

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