All for Joomla All for Webmasters
लाइफस्टाइल

Republic Day 2023: भारतीय तिरंगे का इतिहास, विकास और महत्व, जानिए अब तक का सफर

Republic Day 2023: भारतीय तिरंगा हमारे देश की संस्कृति, आन-बान और शान का प्रतीक है. इसलिए हर भारतीय तिरंगे की रक्षा और सम्मान करता है.

Republic Day 2023: इस साल 26 जनवरी 2023 को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है और प्रत्येक भारतवासी के लिए यह दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण है. इस दिन देशवासी अपने राष्ट्रीय ध्वज यानि तिरंगे को सम्मानपूर्वक सलाम करते हैं. तिरंगा देश का प्रतीक होने के साथ ही हमारी विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व भी करता है. तिरंगे में मौजूद तीन रंग अलग-अलग संदेश देते हैं. बता दें कि 26 जनवरी के दिन ही भारत का अपना संविधान लागू हुआ था और इसलिए यह दिन एक विशेष महत्व रखता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तीन रंगों वाला तिरंगा कैसे बना और कैसे इसे चुना गया? यदि नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास और महत्व के बारे में सबकुछ.

ये भी पढ़ें– सर्दियों में खूब खाएं हरा चना, शरीर को मिलेगा भरपूर पोषण, जड़ से खत्म हो जाएंगी 6 बीमारियां

राष्‍ट्रीय ध्‍वज: एक परिचय

महात्‍मा गांधी ने सबसे पहले 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी और इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. इसमें लाल और हरे दो रंग थे. लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए. वहीं झंडे के बीच में एक चक्र भी था. बाद में इसमें अन्य धर्मों के लिए सफेद रंग जोड़ा गया. स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया. इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली. इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की. 21 फीट गुणा 14 फीट के झंडे पूरे देश में केवल तीन किलों के ऊपर फहराए जाते हैं.

तिरंगे का सफर

सन 1906 में भारत का ध्वज पहली बार फहराया गया था. जिसे स्वामी विवेकानंद की एक शिष्या निवेदिता ने बनाया था. इस ध्वज को उस वक्त फहराया गया जब बंगाल विभाजन हुआ था और उसके विरोध में कोलकाता में कांग्रेस का एक अधिवेशन चल रहा था. जहां उसके बाद वहां पर फहराया गया था. देश का पहला ध्वज तब लाल, पीले और हरे रंग था और उसमें क्षैतिज पट्टियां थीं. बीच में वंदे मातरम और उपर कमल और नीचे चांद बना हुआ था.

ये भी पढ़ें– Disadvantages of Eating Eggs: सेहत के लिए जहर समान है अंडे का ये हिस्सा, बन जाएंगे गंभीर रोगी; ये 5 लोग भूल से भी न करें सेवन

इसके बाद दुसरे झंडे को पेरिस में फहराया गया था. उसके बाद महात्मा गांधी ने साल 1921 में अपने जर्नल यंग इंडिया में देश के राष्ट्रीय ध्वज की बात लिखी थी. इस झंडे के बीच में बापू ने चरखे को दर्शाने की बात कही थी लेकिन झंडे में दो ही रंग था, उसके बाद कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा इसमें सफ़ेद रंग को भी जोड़ने को कहा उसके बाद केसरिया रंग के बीच में सफ़ेद और नीचे हरा रंग तीनों को शामिल किया गया.

इस झंडे को 1931 को मोती लाला नेहरु ने स्वीकार किया लेकिन बाद में इसमें एक छोटा बदलाव किया बीच में चरखे की जगह पर 24 तीली वाली चक्र को लाया गया और तब से आज तक यह भारतीय तिरंगा हर भारतीय का अभिमान, आन-बान-शान बना हुआ है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top