नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ राष्ट्रीय लोक जनता दल यानी RLJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुलाकात की है. नॉर्थ ब्लॉक में हुई इस मुलाकात में राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रधान महासचिव माधव आनंद भी मौजूद रहे, जबकि, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल भी इस दौरान मौजूद थे. उपेन्द्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़ कर अलग पार्टी बनाने के बाद से ही उनके एनडीए के साथ आना तय माना जा रहा है.
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करीब 45 मिनट की मुलाकात के दौरान बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और रालोजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनंद भी थे. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कुशवाहा की एनडीए में वापसी और लोकसभा चुनाव की रणनीति के साथ ही सीट बंटवारे पर चर्चा भी हुई. हालांकि, RLJD नेता इसे शिष्टाचार मुलाकात बता रहे हैं, लेकिन गुरुवार को उपेंद्र कुशवाहा की अमित शाह से मुलाकात के बाद बिहार की सियासी तस्वीर साफ होती दिख रही है.
गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात में बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद रहे. संजय जयसवाल ने मुलाकात के बाद इसे सकारात्मक मुलाकात बताया. उन्होंने बिहार में महागठबंधन पर हमला भी किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर चल रही अटकलों पर कटाक्ष किया. जयसवाल ने कहा कि कुछ लोग दिन में भी सपना देख रहे हैं लेकिन उनका सपना पूरा होने वाला नहीं है.
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गौरतलब है कि बिहार में जेडीयू से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा से मिलने सबसे पहले संजय जयसवाल पहुंचे थे. उपेन्द्र कुशवाहा और अमित शाह की मुलाकात पर RLJD के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने बताया कि गृह मंत्री से बातचीत काफी सकारात्मक रही है और बिहार की वर्तमान परिस्थितियों के साथ ही प्रदेश के विकास को लेकर भी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि वे आशान्वित हैं कि केंद्र सरकार बिहार के विकास को लेकर चिंतित है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.
बता दें कि नीतीश कुमार के एनडीए से अलग हटने के बाद बीजेपी बाकी क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की नजर उपेंद्र कुशवाहा के अलावा, चिराग पासवान, मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी पर है. अभी कुछ दिन पहले ही जीतन राम मांझी ने भी अमित शाह से मुलाकात की थी. हालाकि, इस मुलाकात को दशरथ मांझी समेत कर्पूरी ठाकुर और श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग से जोड़कर बताया गया लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में भी बिहार की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई.
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मुलाकात के बाद मांझी ने भले ही इंकार कर दिया कि वो नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे. लेकिन अब साफ है बीजेपी बिहार के छोटे क्षेत्रीय दलों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं और सबको साथ लेकर महागठबंधन को कड़ी चुनौती देने की तैयारी कर रही है. दूसरी ओर महागठबंधन भी अपने सभी छह दलों को एकजुट रखने की कवायद में जोर-शोर से लगा हुआ है और बिहार की सभी 40 सीटों पर जीतने का दावा कर रहा है.