All for Joomla All for Webmasters
समाचार

कफ सिरप पर केंद्र की सख्ती! विदेश भेजने से पहले सरकारी लैब में करानी होगी टेस्टिंग, 1 जून से लागू होगा नियम

Cough Syrup Testing: एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात के पहले कफ सिरप की गुणवत्ता परखने का फैसला किया है. यह परीक्षण भारतीय औषधि संहिता आयोग, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं, और एनएबीएल से मान्यता-प्राप्त औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें5000 अंडर ग्रेजुएट छात्रों को मिलेगी रिलायंस फाउंडेशन स्कॉलरशिप, सभी को मिलेंगे 2-2 लाख रुपये

नई दिल्ली. कफ सिरप निर्यातकों को एक जून से विदेश भेजने के पहले अपने उत्पादों का निर्धारित सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण कराना जरूरी होगा. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि निर्यात किए जाने वाले उत्पाद के नमूने का प्रयोगशाला में परीक्षण होने के बाद ही कफ सिरप का निर्यात करने की अनुमति मिलेगी. नई व्यवस्था एक जून से लागू हो जाएगी.

सरकार ने यह कदम भारत में बने कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर दुनिया भर में उठे सवालों के बाद उठाया है. पिछले साल गाम्बिया और उजबेकिस्तान में कफ सिरप पीने से हुई क्रमशः 66 एवं 18 बच्चों की मौत के लिए भारत-निर्मित कफ सिरप को कथित तौर पर दोषी बताया गया था. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से 17 अरब डॉलर के कफ सिरप निर्यात किए गए थे और यह राशि 2022-23 में बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गई.

ये भी पढ़ेंकहीं भीषण गर्मी, कहीं बारिश और बर्फबारी, उत्तर से दक्षिण तक मौसम ने मचाया Bawaal | Expert से जानें

एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात के पहले कफ सिरप की गुणवत्ता परखने का फैसला किया है. यह परीक्षण भारतीय औषधि संहिता आयोग, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं, और एनएबीएल से मान्यता-प्राप्त औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जा सकेगा.

गाम्बिया में कफ सिरप पीने से 60 बच्चों की मौत
पिछले साल भारत में निर्मित चार कफ सिरप से पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में संभावित रूप से 66 बच्चों की मौत हो गई थी. डब्ल्यूएचओ ने इस बारे में 29 सितंबर, 2022 को केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण ब्यूरो (सीडीएससीओ) को सूचित किया था कि ऐसी आशंका है कि प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप नामक दवाओं के इस्तेमाल से बच्चों की मौत हुई. इन दवाओं की निर्माता कंपनी हरियाणा में स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड है जिसने इनका निर्यात किया था.

ये भी पढ़ें9 Years of Modi Govt: मोदी सरकार के 9 साल पूरे, जानिए वो कदम जो रहे हिट… और जो फ्लॉप!

उज्बेकिस्तान में हुई थी 18 बच्चों की मौत
गाम्बिया की तरह ही उज्बेकिस्तान ने पिछले साल दिसंबर में आरोप लगाया था कि ‘मैरियन बायोटेक’ के खांसी के सिरप का सेवन करने के बाद 18 बच्चों की मौत हो गई थी. उज्बेकिस्तान ने दावा किया था कि ‘एथिलीन ग्लाइकोल’ अथवा ‘प्रोपलीन ग्लाइकोल’ के निर्धारित मात्रा में इस्तेमाल नहीं करने के कारण सिरप जहरीले हो गए थे. बाद में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने जांच में पाया कि ‘माया केमटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने ‘मैरियन बायोटेक’ के कफ सिरप में इस्तेमाल हुए ‘प्रोपलीन ग्लाइकोल’ आपूर्ति की थी, जो ‘मानक गुणवत्ता’ के नहीं पाए गए थे. औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) ने सख्त कार्रवाई करते हुए मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड की सदस्यता भी निलंबित कर दी थी.

(इनपुट एजेंसी से भी)

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top