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Explainer: एयर कंडीशनर से हीटस्ट्रोक का खतरा कैसे बढ़ जाता है, बचाव के लिए क्‍या करें

AC and Heatstroke – गर्मी के मौसम में एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में बैठना किसे पसंद नहीं होता, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इससे हीटस्‍ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. जानते हैं कि एसी से हीटस्‍ट्रोक का खतरा कैसे बढ़ता है और इससे बचने के लिए क्‍या करना चाहिए?

Heatstroke and AC: आप में से ज्‍यादातर लोगों को गर्मियों के मौसम में एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में काम करना या आराम करना पसंद होगा. इसीलिए ज्‍यादातर लोग गर्मियों का मौसम शुरू होते ही अपने एसी की सर्विस कराकर रेडी कर लेते हैं. वहीं, स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि एसी का ज्‍यादा इस्‍तेमाल आपकी जेब ही नहीं, सेहत पर भी बुरा असर डालता है. एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि एसी के ज्‍यादा इस्‍तेमाल का सबसे गंभीर परिणाम हीटस्‍ट्रोक के तौर पर सामने आ सकता है. जानते हैं कि एसी से हीटस्‍ट्रोक का जोखिम कैसे बढ़ता है औ इससे बचने के लिए क्‍या करना चाहिए?

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सबसे पहले समझते हैं कि एसी क्‍या है और ये कैसे काम करता है? एसी एक ऐसा सिस्‍टम है, जिसका इस्तेमाल घर, कमरा, ऑफिस जैसे किसी बंद स्थान के अंदर मौजूद गर्मी और नमी को दूर करके तापमान ठंडा करने के लिए किया जाता है. एसी बंद जगह की गर्म हवा को रेफ्रिजेंट और क्‍वाइल्‍स के जरिये सोखता है और ठंडी हवा को अंदर भेजता है. इससे उस जगह का तापमान कम हो जाता है. एसी हवा के तापमान को कम करने के लिए वैपर कंप्रेशन साइकिल के सिद्धांत पर काम करता है. एसी एक केमिकल का इस्तेमाल करता है, जिसे रेफ्रिजेंट कहा जाता है. यह केमिकल गैस से तरल और तरल से गैस में बदलता रहता है. यही कमरे के अंदर की हीट को बाहर निकालने का काम करता है.

एसी बंद जगह की गर्मी और नमी को कैसे सोखता है
ईवैपोरेटर इंडोर यूनिट है, जिसमें ईवैपोरेटर ऑयल और ठंडी हवा को सर्कुलेट करने के लिए पंखे का इस्तेमाल होता है. ईवैपोरेटर क्‍वायल्‍स में रेफ्रिजेंट तरल अवस्था में ट्रैवल करता है और गैस में तब्दील होकर गर्मी व नमी को सोखता है. हवा से गर्मी व नमी सोखने के बाद ठंडी हो चुकी हवा को पंखा वापस अंदर की तरफ भेजता है. वहीं, एसी का कंप्रेसर अंदर की हवा को ठंडा करने के लिए रेफ्रिजेंट को ईवैपोरेटर और कंडेनसर के बीच घुमाता है. यह ईवैपोरेटर से निकलने वाली रेफ्रिजेंट गैस को कंप्रेस कर तापमान बढ़ा देता है. कंडेनसर में लगी हॉट क्‍वायल्‍स रेफ्रिजेंट से गर्मी लेती है और उसे बाहर की हवा में छोड़ती है. साथ ही कंडेनसर रेफ्रिजेंट गैस को फिर तरल में बदलता है और वापस ईवैपोरेटर क्‍वायल में भेजता है.

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एसी रूम्‍स में रहने से त्वचा सूख जाती है और शरीर को ठंडा रखने के लिए पसीना आना मुश्किल हो जाता है.

एसी का समझदारी से करें इस्‍तेमाल, वरना है खतरा
एसी बाहर के तापमान के मुकाबले कमरे या ऑफिस के अंदर के तापमान को कम करके हमारे शरीर पर गर्मी के कारण पड़ने वाले तनाव को कम करता है. साथ ही ज्‍यादा गर्मी के जोखिमों को भी कम करता है. इससे हमारे लिए आरामदायक और सुरक्षित तापमान बनाए रखने में मदद मिलती है. हालांकि, एसी का समझदारी और जिम्‍मेदारी से इस्‍तेमाल करना बहुत जरूरी है, वरना ये हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए घातक भी साबित हो सकते हैं. एसी के ज्‍यादा इस्‍तेमाल से हमें हीटस्‍ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है. ये हमारे जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है.

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लंबे समय एसी रूम्‍स में रहने से सूख जाती है त्वचा
जनरल फिजिशियन और इंटरनल मेडिसिन डॉ. सुधा देसाई के मुताबिक, एयर कंडीशनिंग वाले कमरे का तापमान बाहरी हवा की तुलना में 15 से 20 डिग्री कम रहता है. जब कोई व्यक्ति कम तापमान वाली जगह से बाहर निकलता है तो उसके शरीर के पास बाहर के उच्च तापमान के मुताबिक ढलने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. देसाई का कहना है कि पसीना बदलते तापमान पर प्रतिक्रिया करने के लिए शरीर का प्रमुख तंत्र है. लेकिन, लंबे समय तक एयर कंडीशनिंग रूम्‍स में रहने से त्वचा सूख जाती है और पसीना आना ज्‍यादा मुश्किल हो जाता है.

एसी कैसे पैदा कर सकता है हीटस्‍ट्रोक का खतरा
डॉ. देसाई ने बताया कि हमारा स्‍वेटिंग सिस्‍टम खराब होने के कारण बुजुर्ग, बच्चे, मधुमेह रोगी और मूत्रवर्धक का इस्‍तेमाल करने वाले लोग तापमान परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं. इसके कारण एक बंद वातानुकूलित सुविधा वाली जगह से बाहर आने पर तापमान में अचानक परिवर्तन से गर्मी की थकावट, हीटस्ट्रोक या इससे भी बदतर हीट हाइपरपायरेक्सिया हो सकता है. इनसे हमारे कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. ये हमारे लिए गंभीर हालात पैदा कर सकता है.

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एयर कंडीशनर के कारण जिंदगी को खतरा कैसे
जनरल फिजीशियन डॉ. मोहित सक्‍सेना ने न्‍यूज18 हिंदी से बात करते हुए कहा कि हीटस्ट्रोक का खतरा तब सबसे ज्‍यादा हो जाता है, जब हमारे शरीर की तापमान नियामक प्रणाली ज्यादा गर्मी का सामना करने में सक्षम नहीं होती है. वह कहते हैं कि ज्यादा गर्मी के कारण हमारी बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है. इससे ये प्रणाली ठीक से काम नहीं करती. ऐसे में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और कई अंग काम बंद करना शुरू कर देते हैं. इससे जान जाने का खतरा भी हो सकता है.

हिटस्‍ट्रोक जैसे खतरों से बचाव के लिए क्‍या करें

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सबसे पहले जानते हैं कि हीटस्‍ट्रोक के लक्षण क्‍या हैं? डॉ. सक्‍‍‍‍‍‍सेना के मुताबिक, हीटस्ट्रोक में आपके शरीर का तापमान 40 डिग्री से ज्यादा हो जाएगा. इसके अलावा बार-बार चक्कर आना और चिड़चिड़ापन भी हीटस्‍ट्रोक का लक्षण है. लू लगने पर आपके दिल की धड़कन बढ़ जाएगी और सांस लेने में तकलीफ होगी. आपकी हड्डियों में दर्द होने लगेगा. साथ ही आपको कमजोरी महसूस होगी. ऐसा कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श लेना बेहतर विकल्‍प है.

‘एसी रूम्‍स से निकलकर तुरंत धूप में जानें से बचें’
अब जानते हैं कि हिटस्‍ट्रोक से बचाव कैसे करें. डॉ. सक्‍‍‍‍‍‍सेना सुझाव देते हैं कि अगर आप हीटस्‍ट्रोक से बचे रहना चाहते हैं तो एसी से निकलकर तुरंत धूप या ज्‍यादा तापमान वाली जगह पर ना जाएं. दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच धूप में बिलकुल ना निकलें. शरीर के तापमान को संतुलित रखने के लिए पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीते रहें. बेहतर होगा कि प्‍यास नही लगने पर भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें. सूती कपड़े पहनें और बाहर निकलते समय छतरी का इस्‍तेमाल करें.

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