बड़े पैमाने पर हिंसा और हत्याओं के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) हो रहे हैं. इसे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा. आज 22 जिला परिषदों में लगभग 928 सीटों, 9730 पंचायत समितियों और 63,229 ग्राम पंचायत सीटों के लिए लगभग 5.67 करोड़ लोग वोट डाल रहे हैं. वोटों की गिनती 11 जुलाई को होगी. पूरे राज्य में कड़ी सुरक्षा के बीच पंचायत चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं. चुनाव से पहले हुई हिंसा में दर्जनों लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं.
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पंचायत चुनावों को शांति से कराने के लिए लगभग 65,000 केंद्रीय पुलिस कर्मियों और 70,000 राज्य पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. इसके बावजूद हिंसा थम नहीं रही है. पंचायत चुनाव से पहले मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में टीएमसी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. पुलिस मौके पर मौजूद है. हिंसा को देखते हुए गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक निर्देश जारी किया. जिसमें कहा गया कि 11 जुलाई को पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भी 10 दिनों तक केंद्रीय बल पूरे पश्चिम बंगाल में तैनात रहेंगे. बड़े पैमाने पर जिन इलाकों में हिंसा हुई है, उनमें भांगर, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, बसंती, नंदीग्राम और बीरभूम शामिल हैं.
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बीजेपी बनाम टीएमसी
इस बार के पंचायत चुनाव में मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कड़ा मुकाबला होने का अनुमान है. वाम मोर्चा (Left Front) और कांग्रेस (Congress) भी पंचायत चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. 2018 के पंचायत चुनावों में टीएमसी ने 90 प्रतिशत पंचायत सीटें हासिल कीं और सभी 22 जिला परिषदों पर नियंत्रण हासिल कर लिया. हालांकि इन चुनावों में बड़े पैमाने पर हिंसा और धांधली हुई थी. विपक्ष ने तब भी दावा किया था कि उन्हें कई जगहों पर पर्चा दाखिल करने से रोका गया था.
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पंचायत चुनाव का 2024 के लोकसभा चुनाव पर असर
पंचायत चुनाव में राज्य की लगभग 65 प्रतिशत आबादी शामिल है. सभी पार्टियों को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने बूथ-लेवल के संगठन की क्षमता को जानने का एक महत्वपूर्ण मौका है. राज्य की 42 संसदीय सीटों में से एक बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों में मौजूद है. बीजेपी विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने पंचायत के चुनावों में हिंसा के बारे में एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की है. जिसमें चुनाव के दौरान हिंसा को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपायों को लागू करने की मांग की गई है. जिस पर हाईकोर्ट विचार कर रहा है, यह मामला 10 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.