All for Joomla All for Webmasters
समाचार

भारत समेत कई देशों में बाढ़ से तबाही, वैज्ञानिकों की चेतावनी, कहा- अभी तो शुरुआत है…

भारत के अलावा चीन, जापान, तुर्किय और अमेरिका में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. जरूरत से ज्‍यादा बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में लैंडस्‍लाइड की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.

नई दिल्‍ली. पूरे भारत में इस वक्‍त मानसून अपने चरम पर है. भीषण बारिश के चलते भारत के बहुत से हिस्‍सों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश के बहुत से क्षेत्र पानी में जलमग्‍न नजर आए. लगातार हो रही बारिश और लैंडस्‍लाइट के चलते पहाड़ों पर ही 35 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसी स्थिति केवल भारत की ही नहीं है. दुनिया भर के बहुत से देश इसी प्रकार की परिस्थिति से जूझ रहे हैं. चीन, अमेरिका, जापाना, तुर्किय में बाढ़ जैसे हालात ही बने हुए हैं.

ये भी पढ़ेंबारिश बनी आफत: दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में आज स्कूल बंद, गुरुग्राम में WFH एडवाइजरी

जापान में मूसलाधार बारिश के चलते लैंडस्‍लाइड में दो लोगों की मौत हो गई जबकि छह अन्‍य अभी भी लापता हैं. चीन में हालात भी खास अच्‍छे नहीं हैं. 10 हजार से ज्‍यादा लोगों को बाढ़ जैसे हालातों के चलते अपने घर को छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है. उत्‍तरी, मध्‍य और दक्षिण-पश्चिमी चीन बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं. एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका भी बाढ़ जैसे हालातों से अछूता नहीं है. 2011 में तूफान आइरीन की तबाही के बाद अब न्‍यूयॉर्क की हडसन वैली में बाढ़ जैसे हालत हैं. भारी बारिश के कारण तुर्किय और काला सागर तट पर नदियां उफान पर हैं.

ये भी पढ़ेंAgnipath Scheme: बड़े बदलाव की तैयारी शुरू, अब इतने प्रतिशत अग्निवीर सेना में बने रहेंगे- भर्ती उम्र भी बढ़ेगी

दुनिया भर में आ रही बाढ़ में है एक समानता
भले ही दुनिया भर के हिस्‍सों में आ रही बाढ़ एक दूसरे से हजारों किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो इन सबके बीच कुछ तो एक समान है. वैज्ञानिकों ने कहा कि ये बाढ़ गर्म वातावरण में बनने वाले तूफानों का परिणाम हैं, जिससे अत्यधिक बारिश आम बात हो गई है. गर्म वातावरण में अधिक नमी होती है, जिसके परिणामस्वरूप तूफान अधिक बारिश करते हैं. लिहाजा इसके घातक परिणाम हो सकते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदूषक तत्व, विशेषकर कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पर्यावरण को गर्म कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंमूसलाधार बारिश ने बिगाड़ा दिल्ली समेत इन राज्यों का हाल, आज भी नहीं मिलेगी राहत, IMD ने जारी किया अलर्ट

साल 2100 तक ऐसा होगा पृथ्‍वी का हाल
गर्मी को पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में विकीर्ण होने देने के बजाय, वे उसे पकड़कर रखते हैं. वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है कि 21वीं सदी का मध्‍य आते-आते तापमान 40 डिग्री सेल्सियस जैसा और आर्द्रता साल में 20 से 50 बार होने लगेगी. 2022 में एक अध्ययन किया गया था. उसके अनुसार साल 2100 तक, अमेरिका के दक्षिणपूर्व जैसे स्थानों के लिए भीषण गर्मी सूचकांक अधिकांश गर्मियों तक बना रह सकता है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top